MSO 1 unit - 1. सामाजिक सिद्धांत एवं उसका संदर्भ भूमिका समाजशास्त्रीय सिद्धांत सामाजिक संदर्भ से गहराई से जुड़े रहते हैं * इसके दो संदर्भ हैं अंदरुनी व बाहरी संदर्भ इन दोनों के बीच का तना-बना ही समाजशास्त्रीय सिद्धांत है अंदरुनी सिद्धांत उसकी निजी सोच है तथा यह ऐसे विचार हैं जो विचारक को सामाजिक सिद्धांतवादी बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। बाहरी संदर्भ भौतिक परिवेश है जिसमें समाज का अस्तित्व बना हुआ है। समाजशास्त्र सर्वप्रथम पश्चिम में विकसित हुआ भारत में इसकी शुरुआत 20वीं शताब्दी में हुई # 1789 मैं फ्रांसीसी क्रांति ने ऐसे संदर्भ का सृजन किया जो समाजशास्त्रीय सिद्धांत बनने की जरूरत का महत्वपूर्ण तत्व बन गया फ्रांसीसी क्रांति ने इस समाज में काफी बदलावों को उत्पन्न किया #तथा इसका अन्य स्रोत था 19 में 20वीं शताब्दी के आरंभ की औद्योगिक क्रांति # इन सब चीजों की वजह से हमारे सम्मुख आया समाजवाद समाजवाद समाजवाद पूंजीवाद की सीधी आलोचना थी कुछ समाजवाद के समर्थक भी थे लेकिन अधिकांश इसके विरुद्ध थे, समर्थन देने में सबसे प्रमुख कार्ल मार्क्स जो कि लेखक व राजनीतिक कार्य करता भी थे# सामाजिक सिद...
इकाई -1 सामाजिक सिद्धांत एवं इसका संदर्भ भूमिका समाजशास्त्रीय सिद्धांत सामाजिक संदर्भ से गहराई से प्रभावित होते हैं समाजशास्त्र सबसे पहले पश्चिम में विकसित हुआ भारत में इसकी शुरुआत 20 वीं शताब्दी में हुई | 1789 में फ्रांसीसी क्रांति ने ऐसे संदर्भ का सृजन किया जो समाज शास्त्र सिद्धांत की बनने की जरूरत का महत्वपूर्ण तत्व बन गया है फ्रांसीसी क्रांति ने उस समाज में कई बदलाव को उत्पन्न किया | • इस स्थिति से समस्या यह थी कि सामाजिक असमानता तेजी से बढ़ने लगी और जहाँ फैक्टरियां मालिक अब पूँजीपति भारी मुनाफा कमाने लगे वही कामगारो को कम मजदूरी मिलने लगी | कम मजदूरी की वजह से मजदूर संघ बन गए और ऐसी आंदोलन चलने लगे जो पूँजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते थे | समाजवाद की विशिष्टता कारणों की अन्य श्रृंखला में समाजवाद की बढ़ती प्रमुखता | यह पूँजीवाद के सीधे आलोचना थी और कुछ विचारको का इसका समर्थन भी प्राप्त था, इसमें समर्थन देने में सबसे प्रमुख कार्ल मार्क्स थे जो कि एक प्रभावी लेखक व राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे वे पूँजीवादी व्यवस्था के दोषों को सुधारना चाहते थे और फैक्टरी मज़दूरों को उनके अधिका...