Skip to main content

घर - बहार ( महादेवी वर्मा) || Chapter 4 hindi b || b.a 2nd/3rd year hindi - b

           4. घर - बहार ( महादेवी वर्मा)
 महादेवी वर्मा का निबंधश्रृंखला की कड़ियां”  में लेखों का संग्रह है  जिनमें नारियों की समस्याओं को लिखा है इन्होंने भारतीय नारी की प्रति स्थितियों को अनेक बिंदुओं से देखने का प्रयास किया है अन्याय आदि. मैं तो सर्जन के प्रकाश - तत्वों के प्रति निष्ठावान हूं उनका यह व्यक्तवय उनके निबंधघर बाहरके संदर्भ में भी उचित है लेखिका ने नारियों की घर और बाहर की स्थितियों पर विचार प्रकट किया है लेखिका का मानना है कि “ युगो से नारी का कार्य- क्षेत्र घर में ही सीमित रहाउनके कर्तव्य को निर्धारित करने में उसकी कोमलता, संतान पालन आदि पर तो ध्यान रखा ही गया, साथ ही बाहर के कठोर संघर्ष में वातावरण और परिस्थिति में भी समाज को ऐसा ही करने के लिए बाध्य किया घर--बाहर का प्रश्न उच्च, माध्यम तथा साधारण वित्त वाले, घर की स्त्रियों से संबंध रखता है यह समस्या अधिकतर उच्च, मध्यम और निम्न वर्ग में है नारी जाति घर की चारदीवारी में कैद हो जाती है अब नारी स्वतंत्र आत्मसम्मान होकर आगे बढ़ना चाहती है समाज का अंग बनकर अपने कर्तव्य के साथ अधिकारों का भी प्रयोग करना चाहती है वह कभी अपने संस्कार कार्यक्षेत्र को भी नहीं भूली है लेखिका का मानना है कि भारत में कुछ ही प्रतिशत स्त्रियां घर से बाहर निकल कर अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं आज के युग में शिक्षित स्त्री का घर में बैठकर जीवन जीना ऐसा कम ही देखा गया है वह समझ चुकी है कि उसके जीवन का उद्देश्य गृह कार्य नहीं है बल्कि उसे अपना मानसिक विकास करके, देश में अपना योगदान करना है आज के युग में किसी भी व्यवस्था को केवल विश्वास के आधार पर ही स्वीकार नहीं किया जा सकता उसे तर्क के आधार पर कसकर अपनाया जा सकता है महादेवी वर्मा एक नारी होने के नाते नारी वर्ग की क्षमता से भली-भांति परिचित है उन्हें विश्वास है कि नारी घर और बाहर दोनों क्षेत्रों में अपनी कुशलता प्रमाणित कर सकती है वह चाहती है कि सामाजिक व्यवस्था का पारंपारिक आदर्श भी ना बिगड़े और स्त्री भी समाज में अपनी अलग पहचान बनाने में सफलता पाए सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए वह शिक्षित और प्रतिभाशाली स्त्रियों से अपेक्षा करती है कि वे अपने कर्तव्य को केवल घर अथवा केवल बहा तक ही सीमित ना रखें बल्कि दोनों में उचित संतुलन बनाकर आत्म संतुष्टि और समाज सेवा के धर्म को निभाने का कार्य करें


Comments

Popular posts from this blog

पशुपालक खानाबदोश || UNIT - 02 || M.A 1ST YEAR || IGNOU

इकाई दो                                    पशुपालक खानाबदोश     प्रस्तावना -  पशुपालक खानाबदोश एक जगह अपना मुख्य निवास स्थान बनाते थे और जरूरत पड़ने पर दूसरे इलाकों में जाते थे वह विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों के बारे में जानकारी रखते थे और अपने जीवन यापन के लिए इसका उपयोग करते थे संतानोत्पत्ति , निवास और उनके भोजन की भी जानकारी रखते थे इस ज्ञान से उन्हें पेड़ पौधे लगाने और पशु पालने में सुविधा हुई   कुछ समूह शिकार और संग्रह करते रहे और आज भी कुछ ऐसे अलग समूह है जबकि दूसरे समूह ने पशुपालन को जीवनयापन का प्रमुख साधन बना लिया या खेती को जीवन यापन का प्रमुख हिस्सा बना लिया पशुपालन एक नए बदलाव की आहट थी लोग एक जगह रह कर खेती करने लगे और लोगों ने जानवरों को पालना सीख यह इनकी जीवनशैली का पहला कदम था   पशुओं को पालतू बना...

Unit -4 मार्गदर्शन एवं परामर्श : अवधारणा एवं रणनीतियां

            Unit -4     2. मार्गदर्शन एवं परामर्श : अवधारणा एवं रणनीतियां मार्गदर्शन एवं परामर्श ( Guidance and councelling )   मार्गदर्शन या निर्देशन शब्द का अर्थ सहायता करने से ले जाता है शिक्षा के क्षेत्र में इस अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान है बाल पोषण की परिभाषा मानव क्रियाओं में शैक्षिक , व्यवसायिक , मनोरंजन संबंधी , तैयार करने , प्रवेश करने और प्रगति करने में व्यक्ति की सहायता करने की प्रक्रिया के रूप में की जा सकती है विभिन्न मनोविज्ञान ने मार्गदर्शन की विभिन्न परिभाषा दी हैं मार्गदर्शन को व्यक्ति को उसके जीवन के लिए तैयार करने और समाज में उसके स्थान के लिए तालमेल करने में या सहायता देने के रूप में परिभाषित किया जाता है   मार्गदर्शन वह स्थिति है जहां से व्यक्ति शैक्षणिक तथा व्यवसाय उपलब्धियों के लिए विभाजीत होते हैं ( केफेयर )     माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952 ...