इकाई 2 समाजशास्त्र की मूल संकल्पना समाजशास्त्र की मूल संकल्पना संकल्पना वह शब्द या वाक्यांश है जिसे वास्तविक अनुभव से निकालकर बनाया गया है जैसे, कार एक संकल्पना है जो एक विशिष्ट प्रकार के वाहन को बताती है इसी प्रकार घर में एक टेबल या लैंप भी संकल्पनाए हैं प्रत्येक विज्ञान में संकल्पना ओं की आवश्यकता होती है क्योंकि इनके द्वारा सही अर्थों तक पहुंचा जाता है समाजशास्त्र की भी बहुत संकल्पना हैं जिन्हें सभी समाजशास्त्री एक ही रूप में समझते हैं इनमें से कई ऐसे संकल्पना शब्दों या वाक्यांशों मैं बताई गई है जिनका रोजमर्रा इस्तेमाल होता है इसलिए यह जरूरी है कि इन्हें समाजशास्त्रीय रूप में इस्तेमाल करते समय सावधानी बरती जाए समाज की संकल्पना समाज शास्त्र के अनुसार समाज सामाजिक संबंधों की कड़ी होती हैं एक व्यक्ति का व्यवहार दूसरे व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है उदाहरण के लिए एक अध्यापक जब कक्षा में प्रवेश करता है तो विधार्थी शोर मचाना बंद कर देता है और अपने अध्यापक को आदर देने के लिए खड़े हो जाते हैं दूसरे शब्दों में इससे सामाजिक संबंधों का ज्ञान ...
i hope isse apko kuch jankari mili hogi