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समाजशास्त्र की प्रकृति और उसका क्षेत्र || ESO - 11 IGNOU 2nd year ||


     इकाई -1  समाजशास्त्र की प्रकृति और उसका क्षेत्र     ESO -11

समाजशास्त्र क्या है ?
समाजशास्त्र की परिभाषा सामाजिक जीवन और सामाजिक व्यवहार के अध्ययन के रूप में की जा सकती है

समाजशास्त्र का उद्भव
 यूरोप में 19वीं सदी में समाजशास्त्र एक अलग तरह से उभरा और इसका उद्देश्य समाज का अध्ययन करना था स्पेंसर और इमाइल के साथ साथ और भी समाज शास्त्रियों ने समाज के विचार को अध्ययन के विषय के रूप में स्थापित करना चाहा उन्होंने समाज को जांचा परखा समाजशास्त्री सामाजिक व्यवहार के सामान्य अध्ययन में रुचि रखता है क्योंकि सामाजिक व्यवहार सभी प्रकार के समूह में होता है चाहे वह छोटे हो या बड़े हो वह सामाजिक जीवन को समझने का विशेष बल देता है*

मनोविज्ञान,अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान की तुलना में समाजशास्त्र एक नया विषय है इसलिए कभी-कभी लोग गलती से इसे सामाजिक कार्य समझ लेते हैं पर समाजशास्त्र का प्रयोग सामाजिक समस्या को समझने और उनका समाधान करने के लिए सामाजिक कार्य के क्षेत्र में किया जाता है समाजशास्त्र तथा सामाजिक कार्य में अंतर है सामाजिक कार्य का संबंध सामाजिक सुविधाओं से वंचित तथा शारीरिक रूप से विकलांग लोगों से है समाज शास्त्र ज्ञान तथा बेहतर तरीके से योजना बनाने और अच्छी प्रथा को स्वीकार करने का रास्ता निकालता है तथा विकास नीतियों और कार्यक्रम को तैयार करने में सहायता मिल सकती है

 समाजशास्त्र सामाजिक जीवन और समूह के संबंध होता सामाजिक व्यवहार का अध्ययन है हम कह सकते हैं कि सामाजिक जीवन को समझने के लिए समाजशास्त्र या सामाजिक समूह, और संस्थाओं का अध्ययन करता है

 सामाजिक समूह
 सामाजिक समूह छोटे तथा बड़े समूह मैं बटा होता हैसमूहशब्द का प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है एक समूह ऐसा हो सकता है जो खेल देख रहा है और एक जो सड़क पार कर रहा है समाजशास्त्र का मूल संबंध मनुष्य के सामाजिक व्यवहार से है और इसलिए  यह जरूरी है कि देखा जाए कि लोग एक दूसरे से कैसा व्यवहार करते हैं समूह का निर्माण आवश्यकता की पूर्ति के लिए होता है समूह का एक उदाहरण परिवार भी है जिससे हमें आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलती है अलग-अलग व्यक्ति के रूप में हमारे लिए सभी आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है समूह के द्वारा ही हमारी अधिकांश जरूरतें पूरी होती हैं समूह की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें आपसे संपर्क और मिलना जुलना कितने बार होता है उनमें लगाव कैसा है

सामाजिक समूह के प्रकार
 सामाजिक समूह के दो प्रकार हैं          1. प्राथमिक        2.  गौण

 प्राथमिक समूह -  यह एक ऐसा समूह है जिसमें इसके सदस्यों के संबंध बहुत ही निकट और मजबूत होते हैं और उन में भावनात्मक लगाव होता है इसे प्राथमिक समूह इसलिए कहते हैं क्योंकि यही वह समूह है जो मुख्य रूप से व्यक्ति के सामाजिक विचारों का पोषण करता है प्राथमिक समूह का सबसे अच्छा उदाहरण परिवार है परिवार के सदस्यों के विचारों, विश्वास, और आदर्शों को डालने में प्राथमिक समूह की महत्वपूर्ण भूमिका स्पष्ट हो जाती है सामाजिक समूह व्यक्ति और समाज के बीच कड़ी का काम भी करता है

  गौण समूह -  प्राथमिक समूह के विपरीत गौण समूह होते हैं गौण  समूह से संबंध निरंतर ना होकर अधिकतर कभी - कभी होता है किसी कारखाने में काम कर रहे व्यक्ति गौण समूह का एक अच्छा उदाहरण है

 समाजशास्त्र के मुख्य विषय
 समाजशास्त्र का संबंध समाज के विकास से किया गया है इसने उन कारको और ताकतों का विश्लेषण करने की कोशिश की है जो समाज के ऐतिहासिक परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार हैं उदाहरण के लिए रूढ़िवादी, राज्य से ग्रामीण समुदाय तक भिन्न-भिन्न समाज कैसे विकसित हुए किस प्रकार गांव गतिविधियों के महत्वपूर्ण केंद्र बन गए और बड़े समाज और नगरों में परिवर्तित हो गए समाजशास्त्र का संबंध सामाजिक जीवन की इच्छाओं से भी रहा है समाजशास्त्र का संबंध सामाजिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण क्षेत्र से हैं संस्थाएं अपना कार्य करती है जिससे समाज अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है प्रत्येक समाज में 5 संस्थाएं होती हैं
1.परिवार          2.राजनीतिक संस्थाए     3.आर्थिक संस्थाएं   4.धार्मिक संस्थाएं
5.शिक्षा संस्थाएं

 किंतु अधिक जटिल समाजों में अधिकारी- तंत्र, सैनिक संगठन, मनोरंजन संबंधित संगठन आदि जैसी अनेक संस्थाएं होती हैं जाति भी एक संस्था है जो केवल भारत में ही पाई जाती है सामाजिक संस्थाएं एक प्रकार से व्यवस्था प्रदान करती है
संस्कृति की संकल्पना
 हम जन्म से ही संस्कृति में घुलमिल जाते हैं इसलिए हम संस्कृति को ग्रहण कर लेते हैं*

 समाजशास्त्र और विज्ञान
 समाजशास्त्र की परिभाषा समाज के विज्ञान के रूप में दी जाती है कुछ विज्ञान को एक पद्धति के रूप में माना है  जबकि दूसरों ने इसे विषय-सामग्री के रूप में लिया है इसमें क्रमबद्ध रूप से घटनाओं का अध्ययन किया जाता है

 समाजशास्त्र के संस्थापक :  कुछ का परिचय

 1.इमाइल दुर्ख़ाइम (Emile Durkheim)(1858-1917) - उसनेसमाजशास्त्रीय पद्धति के नियमनाम की एक पुस्तक लिखी इमाइल के अनुसार सामाजिक एकात्मता मानव जीवन का एक मुख्य सिद्धांत है इन्होंने 2 प्रकार की एकात्मता  अर्थातयांत्रिका एकात्मता  औरजैविक एकात्मता के बीच अंतर बताया है यांत्रिका परंपरागत समाज में सम्मान धारणा, विश्वास और भावना पर आधारित है जैविक एकात्मता औद्योगिक समाज में श्रम विभाजन और उनके संबंधित हितों पर आधारित है इसने समाज को व्यापक विषयों से संबंधित बताया जिनमें धर्म, ज्ञान, कानून शिक्षा तथा अपराध का समाजशास्त्र और आर्थिक समाजशास्त्र एवं कला तथा सौंदर्यशास्त्र का एक समाज शास्त्र शामिल है उसने कहा था कि सामाजिक तथ्य व्यक्ति के लिए बाहर ही रहते हैं किंतु व्यक्ति के व्यवहार पर उनका प्रभाव पड़ता है रीति रिवाज, परंपराएं, और लोकाचार सामाजिक तथ्य के उदाहरण है उनका विचार था कि समाजशास्त्र को समाज सुधाकर कार्य से संबंधित होना चाहिए उनके अनुसार समाज अपने आप में एक वास्तविक है




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