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लेखन और कलात्मक अभिव्यक्त mhi 01 || ignou ||

MHI - 01 unit - 8
                                                                 लेखन और कलात्मक अभिव्यक्त

 प्रस्तावना लेखन कला का विकास एक बौद्धिक उपलब्धि है लिपि चिन्हों के ऐसी व्यवस्था है, जिसके माध्यम से सूचना प्रदान की जाती है इसमें ध्वनि को किसी चिन्ह के रूप में व्यक्त किया जाता है और प्रत्येक भाषा के अलग-अलग चिन्ह होते हैं लेखन कला के साथ ही एक नई तकनीक का विकास हुआ पेपर, पेन/ पेंसिलसुमेर के लोग मिट्टी कि एक नुकीली सुई द्वारा चिन्ह अंकित करते थे इसी प्रकार मिस्र के लोग मंदिरमकबरो  की दीवारों पर चित्र लिपि अंकित करते थे यह कार्य वयस्क लोग ही करते होंगे जब शुरू में लेखन का विकास हुआ तो यह चिन्ह  के रूप में शुरू हुई इस प्रकार का लेखन कार्य के लिए सरकंडे की डंडी का प्रयोग, पेपीरस के ऊपर लिखने के लिए किया जाता था चीन में आरंभिक लेखन कार्य में कछुए के खोल का प्रयोग हुआ मेसोपोटामिया में यह कार्य गीली मिट्टी पर नुकीली कील की सहायता से प्रारंभ हुआ मेसोपोटामिया के अलावा सभी सभ्यता में यदि लिपि को देखा जाए तो एक शब्द के लिए एक चिन्ह प्रयोग किया जाता था हड़प्पा सभ्यता की लेखन कला सभ्यता से काफी आगे हैं  लेखन कला से लेनदेन में भी आसानी होती थी और दिन और समय का हिसाब भी लगाया जा सकता था मेसोपोटामिया में साक्षरता पहले आरंभ हुई इसीलिए वहां पहले गणित, खगोलशास्त्र आदि का विकास हो सका

   मेसोपोटामिया में लेखन कला का क्रमिक विकास नहीं हुआ यहां के कुम्हार अपने वचनों पर जो चिन्ह लगाते थे उन्हें भी लिपि की विशेषताएं मिलती हैं यह किसी खास कुम्हारिया मालिक के प्रतीक चिन्ह होते थे लेखन कला के विकास से पहले भी हिसाब किताब के लिए मिट्टी के छोटे-छोटे चिन्हों का प्रयोग होता था इन चिन्हों में मुख्य रूप से  गोल, पिरामिड, शंकु  आदि होते थे. मिस्र में जब सैनिक राजा के साथ बाहर निकलते थे तो लकड़ी की बनी गोटियो के चिन्ह उन्हें दिए जाते थे जिन पर अंक खुदे होते थे मिस्र में  लेखन कला का सबसे पहला प्रमाण 310 ईसा पूर्व मैं रंगीन चीजें भी मिलती हैं इस लेखक मैं अक्षर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं मिस्र में भी चित्रकार लिपि मिलती है परंतु यहां लिपि देर से शुरू हुई  हाथी दांत की पट्टियां भी मिलती है आरंभ में लेखन कला का उपयोग चीजों को पहचानने या लेबल लगाने के लिए होता था जब लेखन कला का विकास हुआ इसमें संदेश और आत्मकथा आदि शामिल की जाने लगी सुमेरीयाई भाषा की धमनियों को अब लिखित रूप में डाला जाने लगा इस समय का लेखन चित्रात्मक होता था जिसे गीली मिट्टी पर किसी नुकीली चीज से उभारा जाता था (जैसे कील) इसी कारण इस लिपि को कीलाक्षर लिपि कहा जाता था  जैसे-जैसे लेखन कला का विकास होता गया वैसे-वैसे इसके उपयोग भी बढ़ते गए राजा अब नियमों को लिखित रूप में दे देता था कीलाक्षर के माध्यम से मिश्र और पश्चिमी एशियाई देशों के बीच संपर्क स्थापित हुआ, मिस्र में कागज और गेरू के साथ लाल रंगों का इस्तेमाल किया जाता था 


वाचिकता, साक्षरता, साहित्य 
2100 ईसा पूर्व के आसपास उर एक अभिलेख मिला है जिसमें यहां के राजा ने यह दावा किया है कि वह एकमात्र राजा है जो पढ़ना लिखना जानता है, शूलगी की बात का अर्थ है कि वह अपने आप में संतोष व्यक्त करता है कि वह लिख सकता है उसके अंदर कोई घमंड नहीं है लेखन कला का आविष्कार होने से मौखिक तरीका भी बदला क्योंकि मौखिक संवाद में वक्ता और श्रोता का आमने सामने होना जरूरी था जबकि लिखित संवाद में ऐसा जरूरी नहीं था लेखन कला में लिखते वक्त ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी शब्द को धीरे बोला जाए और किसको तेज जबकि मौखिक संवाद में यह जरूरी होता था इसलिए लेखन कला के विकास में संवाद आसान हुए क्योंकि संवादों को व्यक्त करने के लिए केवल शब्द थे 

साक्षरता प्रारंभ होने पर भी सभी समाजों में मौखिक परंपरा चलती रही यह मौखिक परंपरा तो लिपि और लेखन के आसान तरीके विकसित होने के बाद भी जारी रही बल्कि मौखिक परंपरा ने लिखित परंपरा को प्रभावित किया और परिवर्तन किए मेसोपोटामिया में जो लिपि और साहित्य परंपरा बनी रही उसका फायदा हुआ कि वहां के इतिहास की परंपरा जीवित रही, लोगों को लिपि सीखने के लिए विद्यालयों की स्थापना की गई इसमें जो अध्यापक पढ़ाते थे वे अनुवांशिक आधार पर नियुक्त नहीं होते थे खुदाई में मिले साहित्य मैं मिट्टी की टिकटों पर लिखा गया साहित्य उन विद्यार्थियों द्वारा लिखा गया है जिन्हें अभिलेखों की नकल करने की जिम्मेदारी दी गई थी विद्यार्थियों को लेखन कला का ज्ञान इसी प्रकार कराया जा सकता था बाद में मैं मेसोपोटामिया में कई बोलिया प्रचलित हुई 

 दृश्य  संप्रेषण 
 हड़प्पा सभ्यता की तस्वीरों और लेखन को जानने के लिए वहां पर पाई जाने वाली मोहरों का सहारा लिया जाता है, यह शहरी क्षेत्र में पाई गई है जोकि आयताकार और वर्गकार  है उन मोहरों पर लगभग 100 प्रकार की तस्वीर पाई गई हैं इन चित्रों के माध्यम से सामाजिक प्रतीक, समूह, वंश, पीडी आदि का बोध मिलता है
 मोहनजोदड़ो से तांबे की टिकिया मिली है, जिनकी संख्या लगभग 200 है इन पर एक तरफ बारिक  नुकीली चीज से चित्र उकेरे गए हैं ,दूसरी तरफ कुछ और लिखा गया है ऐसा माना जाता है कि तबीज वगैरह उस टाइम में भी थे मेसोपोटामिया के संबंध में मूर्ति को देखें, तो वहां के साहित्यिक स्रोतों में राजा के चित्र बनाए गए हैं उसमें राजा को एक विशाल पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है मेसोपोटामिया कला में राजा गुड़िया की मूर्ति महत्वपूर्ण है 

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