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आरंभिक सभ्यताओं का सांस्कृतिक और प्राकृतिक परिवेश || unit 6 || MHI - 01



आरंभिक सभ्यताओं का सांस्कृतिक और प्राकृतिक परिवेश M.A || 1ST YEAR ,MHI - 01
प्रस्तावना - 1871 E.B टाइलर ने यह कहा था कि पूरी दुनिया में मानव संस्थाओं का विकास एक के बाद एक समान पद्धति से हुआ है कांस्य युगीन सभ्यता में कुछ परिवर्तन देखने को मिलते हैं जैसे तांबे का गलाना, पहिया की गाड़ी और लेखन कला का विकास यह दोनों एक साथ हुए विश्व के कई क्षेत्रों में परिवर्तन पत्थर  या पाषाण, कांस्य  और लोह युग में देखने को मिलते हैं नगरीय जीवन और लेखन का उदय भी साथ साथ हुआ अक्षर का आविष्कार एक ही बार हुआ परंतु बाद में कई समूह ने इसे सीखा और इसका उपयोग किया कार्यों के लिए अधिक से अधिक औजारों और तकनीक का प्रयोग होने लगा और अधिकांश कबीलाई समाजों में कांस्य युग आया ही नहीं और दक्षिण एशिया में तो बिल्कुल पीछे लौटे जैसी स्थिति हुई कांस्य युग के बाद का कबीलाई जीवन की शुरुआत हो गई

(1)मिस्र की सभ्यता (2) मेसोपोटामिया (3) हड़प्पा सभ्यता (4) उत्तरी और मध्य चीन की सांग सभ्यता
·         1.मिस्र की सभ्यता( नील का उपहार) - नील नदी की लंबाई 700KM  है और चौड़ाई 10KM है यहां के लोग कछार घाटी में वह पश्चिमी मरुस्थल के निकट की पहाड़ियों और मौसमी नदियों का उपयोग करते थे * यहां कई प्रकार की धातु (तांबा, सोना), इमारत बनाने में काम आने वाला पत्थर( ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर) और अर्ध मूल्यवान पत्थर(सुलेमानी, कार्नेलियन, सेलखड़ी आदि) पाए जाते थे इन क्षेत्रों में दानेदार और मजबूत लकड़ी उपलब्ध नहीं थी इसलिए नाव बनाने के लिए लकड़ी लेबनान से आयत की जाती थी नील काफी लंबी नदी है मानसून के समय इस में बाढ़ जाती है और बाढ़ का पानी 4 से 6 सप्ताह तक भरा रहता है बाढ़ का पानी घटते ही जमीन पर उपजाऊ गाद छोड़ जाता है नवंबर में गेहूं और जो की बुआई शुरू हो जाती है यहां वर्षा बहुत कम होती है
·         परंतु यहां सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि बाढ़ के पानी से मिट्टी काफी नम हो जाती है इसलिए यह कहना बिल्कुल सही है कि मिस्र नील का उपहार है मिस्र वासी पशुओं के अलावा बत्तख और हंस भी पालते थे और अवसरों पर उनकी बलि चढ़ाते थे यहां पर डेल्टा में सरकंडा भी उठता था  यहां पर खेती करने के लिए श्रम कम था और उत्पाद ज्यादा था यहां पर तीसी का पौधा उगाया जाता था इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता था तीसी एक प्रकार का रेशेदार पौधा है मिस्र एक उत्पादक भूमि रही है
·         यह रोम शहर को गेहूं का निर्यात करता था और विशाल पिरामिड को बनाने में भारी संख्या में पूरी घाटी के मजदूरों को लगाया गया होगा इससे किसी उत्पाद में कोई बाधा नहीं पहुंची होगी और जमीन की कमी हो सकती है और जमीन के लिए संघर्ष शुरू हो सकता है 3500-3000. पू. के बीच राजनीतिक- सैनिक के महत्व के केंद्रों में कुछ बस्तियां स्थापित हुई दक्षिणी मिस्र नेखेन में पुरातत्व को एक बाहरी दीवार मिली है जिसमें पत्थर के खंभों का अवशेष एक पवित्र अहाता(चारदीवारी) भी मिला है और सुंदर कड़े हुए पत्थर के कलश, हाथी दांत से बने सामान और सिंगार, आदि मिला है यहां एक कब्रिस्तान में मिला है जिसमें कुछ दफन हो गए शवों के अवशेष सोना, चांदी, कार्नेलियन, और गहने भी मिले हैं *

(2) मेसोपोटामिया की सभ्यता और इसके शहर 
·         यहां अक्सर सत्ता जमीन के लिए आपस में संघर्ष करते नगर राज्यों की भरमार थी यहां जनसंख्या ज्यादा नहीं थी परंतु आबादी एक जगह पर ही केंद्रित थी लेन-देन का लिखित दस्तावेज मेसोपोटामिया की विशिष्टता है बेलन का मोहर पर बेहतरीन नक्काशी से लिखाई करके इन्हें गिली मिट्टी की टिकिया पर दबाकर चला दिया जाता था मतलब यह था कि लोग पढ़ना लिखना सीख रहे थे और जीवन में इसका उपयोग किया जा रहा था
·         यूफ्रेट्स(EUPHRATES) और टिगरिस(Tigris) मेसोपोटामिया की प्रमुख नदियां है यूफ्रेट्स प्राचीन सभ्यता की जीवन रेखा थी टिगरिस मैं बाढ़ आती थी और इसलिए शुरू से ही यहां कोई बस्ती नहीं बसी दक्षिणी मैदानी हिस्से कोसुमेरभी कहा जाता था क्योंकि यह सुमेरीयाई लोगों की भूमि थी और वे सुमेरीयाई भाषा - भाषी थे उन्होंने सबसे पहले नगरों की स्थापना की थी इनके लिपि का नाम कीलाक्षर था मछली मारना, जंगली जानवरों का शिकार करना आदि इस सभ्यता की विशेषताएं थी
·         वे दक्षिणी दलदल में भरे क्षेत्र में रहते थे सुमेर में इतनी बारिश नहीं होती है कि वहां गेहूं और जो पैदा किया जा सके यूफ्रेट्स के पानी में नमक मिला होता था नील के पानी में ऐसा नहीं था पशुपालन और कृषि का साथ-साथ विकास हुआ मेसोपोटामिया में पशुधन बड़ा साधन था और यहां से और निर्यात किया जाता था जिस साल ठीक से खेती नहीं की जाती थी और अनाज पैदा नहीं होता था उस साल पशुधन दूध और दूध से बने पदार्थ और मछली बड़ा सहारा प्रदान करते थे इन क्षेत्रों में खनिज पदार्थ  बहुत उपलब्ध नहीं था *
·         (3)हड़प्पा का संसार ( हड़प्पा सभ्यता) - * सिंधु नदी यह एक विनाशकारी नदी थी क्योंकि सिंधु नदी ने कई बार सैकड़ों गांवों को तबाह किया है इस नदी में यूफ्रेट्स से लगभग 8 गुना तेज पानी बहता था यहां सिंचाई के लिए ज्यादा श्रम लगाना होता होगा पशुओं की संख्या ज्यादा थी कृषि के दौरान श्रम की किल्लत पड़ती होगी और फसल या खेती करने के लिए पशुपालन एक जरूरी कारक होगा दक्षिण राजस्थान के तांबा बनाने वाले कबीले रहा करते थे यहां चांदी के बर्तन का इस्तेमाल शुरू हो गया और पक्की हुई ईटों की इमारतें मिलती हैं और लेखन कला विकसित हुई 

·         (4)चीन की सांग सभ्यता - कांस्य युग  में चीन का स्थान अंतिम है कांस्य युग का पहला चरण सिया (hsia) राजवंश( इसे जिआ (xia)भी लिखा जाने लगा है) के शासनकाल से शुरू होता है इसी समय से कांस्य का उपयोग शुरू हो गया था इसका समय 2200 और 1760 ईसा पूर्व  के बीच में पड़ता है * सांगयुग में बड़े पैमाने पर कांसे का उपयोग मिलता है इस युग में लेखन कला का विकास हुआ युद्ध में घोड़ों और RATH का उपयोग होता रहा और दीवार से यही बस्तियां बनाई जाती रही मिट्टी से बने चबूतरे, भंडारण और कांस्य  तथा जेड के साथ लोगों के कपड़े मिले हैं जिनमें कहीं मानव बलि का प्रमाण मिला है और कहीं नहीं *यहां राजनीतिक एकता का अभाव दिखाई देता है
·         नव पाषाण संस्कृति में हमें कुछ विशेषता देखने को मिलती हैं 1चावल की खेती 2संघ के देशों के बने वस्त्र 3 हड्डी और पत्थर के बने खेती करने के उपकरण इस सभ्यता में जिस मिट्टी के बर्तन का उपयोग होता था उसे केओलिन (kaolin)कहा जाता था यहां सन के बने वस्त्र का उपयोग होता था  सिल्क का भी यहां उपयोग होता था जेड यहां मिलने वाला एक कीमती पत्थर था जिसका उपयोग गहनों और धार्मिक चीजों में किया जाता था 

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