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रोमन साम्राज्य || MHI - 01 UNIT 13 || ROMAN SAMRAJYA


MHI 01  unit 13 

PDF LINK HERE :- https://drive.google.com/open?id=1EH7d2RSXmuZDk5SWmAjHuy20jf86c2z5
 प्रस्तावना- रोमन साम्राज्य प्राचीन काल का सबसे बड़ा साम्राज्य साबित हुआ इटली इसका मुख्यालय था और धीरे-धीरे इसमें दुनिया समा गई,इटली के प्रमुख नगर रोम का संपूर्ण इतालवी प्रायद्वीप पर नियंत्रण हो चुका था, रोम इटली के मध्य भाग में ताइबर(tiber)नदी के तट पर बसा हुआ था इसकी स्थापना 753 ईसा पूर्व में हुई थी इस शहर के एक तरफ सात पहाड़ियां और ताइबर नदी से घिरे इस शहर को 753 ईसा पूर्व में दीवार बनाकर पूरी तरह सुरक्षित किया गया यह रोम शहर था बाद में लगभग 550 ईसा पूर्व में पहली बार इसे  किलाबंद किया गया था

 रोमन साम्राज्य का विस्तार ( फैलाव )
 इसको दो चरण में बांटा गया है 
1. रोमन साम्राज्य 500 वर्षों तक कायम रहा, रोम ने पूरे इतालवी को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास किया यह लगभग 500 से 280 ईसा पूर्व तक यानी 2 शताब्दियों तक रहा, रोम ने मध्य इटली में अपना वर्चस्व कायम करके इस प्रक्रिया को शुरू किया उसने उस क्षेत्र के लैटिन भाषाभाषियों से गठजोड़ किया इन गठजोड़ों से रोम को गैर लैटिन राज्य पर आक्रमण करने के लिए संसाधन प्राप्त हुए लगभग 10 वर्षों के संघर्ष के बाद 396 ईसा पूर्व में वेई पर कब्जा जमा लिया वेई की जीत से रोम को उसकी भूमि, धन और संसाधन प्राप्त हो गए थोड़े समय के बाद कैल्टस  मे रोम पर आक्रमण किया और उसे नष्ट कर दिया वह वहां से लूट का ढेर सारा सामान साथ ले गए पर रोमवासी जल्दी ही इस झटके से उबर गए  उन्होंने मध्य इटली के अधिकांश हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया दक्षिण इटली के राज्य ने रोम के विरुद्ध संघर्ष किया घमासान युद्ध के बाद अंत में यह राज्य रोम के अधीन हो गया 

2. अब इनका मुख्य उद्देश्य भूमध्यसागरीय क्षेत्र में रोमन साम्राज्य का प्रभाव स्थापित करना था रोम वासियों और कार्थेजिनिआई (carthaginians) के बीच लड़ाई छिड़ गई क्योंकि वह भूमध्यसागरीय क्षेत्र के शासक थे यहां एक व्यापारिक बस्ती बड़े साम्राज्य के रूप में विकसित हो गई(स्पेन,सिसली,आदि) शामिल थे रोम ने सिसली पर कब्जा जमाना चाहा तो कार्थेजिनिआई साम्राज्य के साथ आसान और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी एक शताब्दी तक  रोम कार्थेजिनिआई से लगातार युद्ध करता रहा 
 रोम और कार्थेजिनिआई के बीच का युद्ध को प्यूनिक युद्ध के नाम से जाना जाता है कुल 3 प्यूनिक युद्ध हुए (1.264-241)   (2.218-201)   (3.149-146) तीसरे प्यूनिक युद्ध का अंत होते-होते कार्थोजिनिआई साम्राज्य पूरी तरह नष्ट हो गया और कार्थेजिनिआई शहर पर कब्जा जमा लिया गया

राजनीतिक ढांचा और समाज 
सामाजिक श्रेणियां और सीनेटरोम साम्राज्य के नागरिक को दो श्रेणियों में बांटा गया था 1. पेट्रिशियन  श्रेणियां   2. प्लेबियन  
पेट्रिशियन एक संभ्रांत समाज था जबकि आम जनता को प्लेबियन कहा जाता था,यह अवस्था थोड़ा बहुत भारतीय जाति व्यवस्था से मेल खाता है जो जिस जाति में जन्म लेगा वह उसी में रहेगा यानी एक नागरिक जन्म से ही पेट्रिशियन या प्लेबियन होता था केवल धन राजनीतिक सत्ता प्राप्त कर कोई भी पेट्रिशियन या प्लेबियन नहीं बन सकता था काफी लंबे समय से इन दोनों के बीच विवाह की मनाही थी पेट्रिशियन  मैं जन्म लेते ही व्यक्ति को धन, राजनीतिक अधिकार और उच्च सामाजिक हैसियत मिल जाती थी पेट्रिशियन का रोमन धर्म पर भी अधिकार था कई महत्वपूर्ण दरवाजे प्लेबियन के लिए बंद थे 
गणतंत्र के आरंभ से ही सीनेट, पेट्रिशियन का एकाधिकार था(जो कि राज्य का प्रमुख अंग था) पेट्रिशियन पुरुष ही सीनेट के सदस्य हो सकते थे प्लेबियन नागरिक और सभी महिलाएं इसमें शामिल नहीं हो सकती थी शुरू में सीनेट के 300 सदस्य थे बाद में इनकी संख्या बढ़कर 600 कर दी गई सीनेट के सदस्यों का चुनाव इसके सदस्य ही करते थे या नए सदस्य का चुनाव खुद ही किया कहते थे ज्यादातर सीनेटर बड़े भूमिपति थे दूसरे शब्दों में रोमन गणतंत्र पर भूमिपति कुलीन - तंत्र का शासन था 

पेट्रिशियन और प्लेबियन के बीच संघर्ष - पेट्रिशियन राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रहे थे वही प्लेबियन अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए दबाव बनाते हुए मांग कर रहे थे कि राजनीतिक प्रक्रिया में उनकी भी भागीदारी होनी चाहिए गणतंत्र की स्थापना के बाद पेट्रिशियन ने जो व्यवस्था बनाई उसमें उन्होंने सरकार में प्लेबियन को कोई जगह नहीं दी कृषक वर्ग की आसानी से उपेक्षा नहीं की जा सकती थी साम्राज्य पूरी तरह कृषको पर ही आश्रित था जो सैन्य बल की प्रमुख शक्ति थे सेना में किसको वर्ग को ही नियुक्त किया जाता था और उन्हें कोई वेतन भी नहीं दिया जाता था सैनिकों को अपने अस्त्र-शस्त्र खुद जुटाने पड़ते थे सभी स्वस्थ पुरुषों को सेना में भर्ती होना पड़ता था बाद में कृषक वर्ग को थोड़ा बहुत लाभ मिला परंतु सबसे ज्यादा लाभ साम्राज्य के पेट्रिशियन वर्ग  को हुआ

 सभा 
 कोमिशिया क्यूरीयाटा(comitia curiata) - सभी नागरिकों की सभा को कोमिशिया क्यूरीयाटा के नाम से जाना जाता था कोमिशिया क्यूरीयाटा वंशीय संबंधों पर आधारित सामाजिक इकाई थी जिन्हें क्यूरीए कहा जाता था क्यूरीए एक ऐसा कुल था जिसमें पेट्रिशियन और प्लेबियन दोनों शामिल थे  आरंभिक गणतंत्र के दौरान दोनों में 30 क्यूरीए  थे यह तीन कबीलों में बैठे हुए थे प्रत्येक कबीले में 10 क्यूरीए थे,प्लेबियन के  बढ़ते दबाव के परिणाम स्वरूप नहीं सभा बनाने के लिए नागरिकों को एक बार फिर से अलग-अलग समूह में बांटा गया 
कोमिशिया सेंच्युरियाटा(comitia centuriata)इस सभा को कोमिशिया सेंच्युरियाटा कहा गया यह पेट्रिशियन और प्लेबियन की सभा थी इन दोनों सभा में मुख्य अंतर यह था कि इनमें नागरिकों के समूह अलग-अलग ढंग से गठित किए गए थे सेंच्युरियाटा की संख्या कुल मिलाकर 193 थे इन 193 सेंच्युरियाटा को पांच भागों में बांटा गया था इन्हें संपत्ति के स्वामित्व के आधार पर विभाजित किया जाता था इनका विभाजन समान नहीं था अधिकांश सेंच्युरियाटा पहले 3 वर्ग में रखे गए थे जिसमें अभिजात वर्ग और बड़े भूमिपतियों को रखा गया था सेंच्युरियाटा के पहले दो वर्गों में कम नागरिक शामिल थे दूसरी और गरीब नागरिक थे इन नागरिकों को प्रोलेटरी(proletari)कहा जाता था प्रोलेटरी सबसे निचला वर्ग था हालांकि संख्या की दृष्टि से यह बड़ा वर्ग था परंतु उसे केवल एक सेंचुरी प्रदान की गई थी इस प्रकार गरीब नागरिकों का सभा में भागीदारी का कोई अर्थ नहीं रह जाता था सेंचुरी के आधार पर वोट का निर्धारण किया जाता था कोमिशिया सेंच्युरियाटा की स्थापना  लगभग 450ईसा पूर्व  के आसपास हुई 
  कौंसिलियम प्लेबिस(concilium plebis) - यह ऐसी सभा थी जहां केवल प्लेबियन  ही शामिल हो सकते थे  कौंसिलियम प्लेबिस मैं प्लेबियनो  की समस्या पर विचार विमर्श होता था इस तरह प्लेबिस ने अपना ढांचा खुद निर्मित किया इसके अपने अधिकारी चुने जाते थे 

प्लेबियनो मैं सामाजिक विभाजनगणतंत्र के अंतिम दौर में प्लेबियन  श्रेणियों में भी समाजिक अंतर गए थे  एक और प्लेबियनो  मैं एक छोटा वर्ग बन गया था इन लोगों ने सत्ता और धन प्राप्त करने के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शब्दों का उपयोग अपने हित में किया कुछ मुट्ठी भर प्लेबियनो परिवार के लोग सीनेटर बने और वह भी पेट्रिशियन अभिजात वर्ग की तरह सुख सुविधाएं उठाने लगे आरंभिक गणतंत्र में अधिकार प्लेबियनो  के पास अपनी जमीन थी परंतु तीसरी शताब्दी तक आते-आते उसमें से अधिकांश के हाथों से जमीन निकल गई 
दास प्रथारोमन अभिजात वर्ग ने साम्राज्य के पश्चिमी इलाकों में बड़ी-बड़ी जमीनें हासिल कर ली थी इन इलाकों पर कब्जा जमाए जाने से दास प्रथा के प्रसार की संभावना और बढ़ गई, 42ईसा पूर्व के बीच दासो की जनसंख्या 600,000  से बढ़कर 3000000 हो गई
 रोमन कानून के तहत दास को संपत्ति माना जाता था दासो को एक वस्तु के रूप में देखा जाता था जिन्हें पशु की तरह बाजार में बेचा और खरीदा जा सकता था कृषि, खनन और हस्तशिल्प उत्पादन में इन्हें सबसे ज्यादा लगाया जाता था हस्तशिल्प उद्योग में 90% काम दासो से कराया जाता था खेतों और खान में काम करने वाले दासो को अधिकतर जंजीर से बांधकर रखा जाता था रोमन राज्य दासो पर कड़ा नियंत्रण रखता था और इसके लिए उन पर जुल्म ढाता था अलग-अलग भाषाएं बोलते थे दासो ने कई बार आंदोलन और विद्रोह भी किए परंतु इन सभी को कुचल दिया गया मानव इतिहास में किसी भी समाज में इतने व्यापक पैमाने पर दासो का उपयोग नहीं किया गया यह एक दास समाज था 

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