(viii) नव
धनाढ्य वर्ग
या नए
परजीवी
पूरन चंद
जोशी
श्री
पूरनचंद
जोशी
ने
भारतीय
समाज
की
समस्याओं,
एवं
उसकी
गतिविधियों
का
आर्थिक
दृष्टिकोण
से अध्ययन
व
मनन
किया
है। वर्तमान
में
समाज
में
पनप
रहे
नव
घनाढय
वर्ग
को
आजकल
की
राजनीतिक
व
आर्थिक
विषमता
का
सबसे
बड़ा
कारण
माना
है।
राजनीतिक,
औधोगिक,
प्रशासन, धर्म
आदि
प्रत्येक
क्षेत्र
में
यह
नव
घनाढय
या
नए
परजीवी
छाए
हुए
है।
ऐसा
प्रतीत
होता
है
कि
हर
जगह
इन्हीं
का कब्जा है स्वतंत्र भारत
के
समाज
में
निम्न
वर्ग
की
स्थिति
शोचनीय
और
परजीवी
नव
घनाढय
वर्ग
की वृद्धि के कारको का खुलासा करते हुए पूँजीवादी तथा
उपनिवेशवादी
ताकतो
के
खिलाफ
अपनी
चिन्ता
प्रकट
की
है।
मजदूर
व
कृषक
आज
दो
वक्त
की
रोटी
का
जुगाड़
करने
के
लिए
रात
दिन
एक
कर
रहा
है,
फिर
भी
उसे
अपने
उत्पादन
व
अपने
श्रम
का
उचित
मूल्य
नहीं
मिल
पा
रहा
है।
वहीं
दूसरी
तरफ
बिचौलिए,
दलाल,
ठेकेदार,
कालाबाजारी,
वकील,
डाक्टर,
विद्वान,नेता,
दलितों,
पिछड़ी
जातियों
के
झंडाबरदार,
सांसद,
विधायक,
नौकरशाह,
पुलिसकर्मी,
कॉल
गर्ल
, अभिनेता एवं
व्यापारी,सब
मिलाकर
परजीवी
बने
हुए
है
उनमें
उत्पादकता
का
भाव
भी
नहीं
है
तथा
छोटी-मोटी
सेवा
की गतिविधियों से
नाममात्र
के
लिए
जुड़
जाते
हैं
और
दूसरों
की
मेहनत
व
श्रम
पर
डाका
डालते
हुए
उनकी
मजदूरी
का
लाभ
हड़प
लेते
हैं
इस प्रकार के लोग पूरे हिन्दुस्तान मे फैले हुए हैं। इस वर्ग ने निम्नवर्गीय तमाम वंचितों का हक मार लिया है और देश का भाग्य विधाता बन बैठा है। तेजी से पनप रहा यह नव घनाढय वर्ग वंचितों की घृणा का पात्र बन रहा है। यदि उत्पादन की इकाइयों से जुड़ी आम जनता को उनका वाजि़व हक नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के प्रजातंत्र को गहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि निम्न - मध्यम वित्तीय वर्ग अपने से ऊपर नव घनाढय वर्ग से खार खा रहा है, घृणा कर रहा है परिणामस्वरूप परजीवीवाद के प्रति जबर्दस्त, गुस्सा, अलगाव और शत्राुता का भाव पनप रहा है। इसका समाधान नहीं ढूंढो यह स्थिति काबू से बाहर हो जाएगी । अत: नवघनाढय वर्ग सामाजिक चिन्ता का कारण है क्याेंकि वह मानवीय प्रतिभा के विनाश का कारण बन रहा है।
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