Skip to main content

The world trade organization || विश्व व्यापार संगठन || unit 5 || b.a 3rd year globlazation


                                   विश्व व्यापार संगठन
               (The world trade organization)

1.व्यापार एवं प्रशुल्क पर सामान्य समझौता तथा विश्व व्यापार का गठन
  दूसरे विश्वयुद्ध के बाद  जब देशो की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी  तो उस समय तीन संस्थाएं सामने आई थी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(IMF), वर्ल्ड बैंक(WB) तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार संघ(ITO) इन तीनों को  “ब्रेटन वुड्सके नाम से जाना जाता था
   ITO  का मसौदा हवाना( क्यूबा) मैं तैयार किया गया था इसकी योजना दूसरे विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों में एक औपचारिक वैश्विक व्यापार प्रबंधन संघ का गठन था  संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना पर कोई आपत्ति नहीं की लेकिन ITO के गठन पर इसने इंकार कर दिया तब ITO के गठन पर अमेरिका के नेतृत्व में राजनीतिक  अस्वीकार्यता  हो गई भागीदारों ने ITO आईटीओ के संविधान से महत्वपूर्ण तथ्यों को लेकर उसे पुनर्जीवित करने की सोची और एक अलग स्वतंत्रव्यापार और पर सामान्य समझौता(GATT) का निर्माण किया
GATT पर सन 1947 में हस्ताक्षर किए गए, जो 150 देशों की बहुपक्षीय समझौते पर आधारित व्यापार था गेट का उद्देश्यतथा व्यापारिक बाधाओं में कटौती और लाभ पर आधारित   संरचनात्मक गतिविधियों को रोकना था “GATT एक संस्था के रूप में स्थापना 1948 में हुई जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के नियमों द्वारा शासित थी GATT  की अवधि मैं अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि देखी गई
 GATT  की स्थापना के आरंभिक 20 वर्षों में इसके सदस्यों का मुख्य कार्य बातचीत द्वारा  आयत प्रशुल्को को कम करना था अपने पूरे समय में GATT प्रशुल्क कटौती  और अन्य व्यापार की बाधाओं को दूर करने में सतत प्रभावशाली भूमिका निभाता रहा लेकिन सब कुछ अच्छा नहीं था जैसे जैसे समय बीता नई समस्या उठती रही विशेषकर 1970 और 1980 के आरंभिक में आर्थिक मंदी में सरकारी विदेशी प्रतिस्पर्धा से क्षेत्रों को बचाने हेतु नए हथियारों का प्रयोग करने लगी उच्च बेरोजगारी दरें और निरंतर कारखाना बंदी के कारण उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप की सरकारें बाजार व्यवस्था को अपनाने को बाध्य हुए और उन्होंने अपने कृषि व्यापार में सब्सिडी देने की गति को बढ़ा दिया यह बदलाव GATT  की विश्वसनीयता और प्रभाव को कम कर रहे थे और समस्या केवल यही नहीं थी कि व्यापार नीति प्रभावित हो रही है विश्व व्यापार 40 साल पहले के मुकाबले अधिक जटिल और महत्वपूर्ण हो गई थी वैश्विक आर्थिक भूमंडलीकरण की प्रक्रिया जारी थी निवेश भी बढ़ रहा था तथा सेवा क्षेत्र में भी अधिक देशों की रुचि बढ़ी जो गेट के अधीन नहीं आते थे
   अब गेट की संरचना और इसकी विवाद सुलझाने की प्रणाली भी चिंता का विषय बन गई थी तथ्यों को देखते हुए गेट के सदस्यों ने एक नया प्रयास शुरू किया जो बहुपक्षीय प्रणाली पर आधारित हो इस प्रयास का नतीजा उरुग्वे दौर,मराकश घोषणा और WTO  के साजन के रूप में सामने आया
  उरुग्वे दौर में नए सदस्यों की भीड़ से यह प्रदर्शित हुआ कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली उनके आर्थिक विकास का साधन और व्यापार में सुधार के लिए एक मंच के रूप में स्थापित हुआ है सबसे अंतिम दौर उरुग्वे दौर, थी जो 1986 से 1994 तक चली उरुग्वे दौर के बीज नवंबर 1982 में गेट सदस्यों के मंत्रीस्तरीय सम्मेलन( जेनेवा) में देखने को मिला इसे अपने मुद्दे को स्पष्ट करने तथा आपसी विकास के निर्माण और मंत्रियों को एक नए एजेंडे के तहत एक नया दौर की वार्ता को प्रारंभ करने में 4 वर्ष लग गए ऐसा उन्होंने 1986 में किया उन्होंने बातचीत पर आधारित ऐसा मसौदा तैयार किया जो व्यापार नीति के प्रत्येक पक्ष को सम्मिलित करता था, वार्ता का यह मसौदा सबसे बड़ा व्यापारिक सम्मेलन था WTO 1 जनवरी 1995 को अस्तित्व में आया

2. विश्व व्यापार संगठन(WTO)
 विश्व व्यापार संगठन 1 जनवरी 1995 को अस्तित्व में आया जिसका कार्य विश्व के देशों के मध्य होने वाले व्यापार का विनियमन तथा संचालन था WTO  एकमात्र ऐसा वैश्विक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो देशों के मध्य व्यापार संबंधी नियमों को बनाता है इसके मॉल में वे WTO  संध्या है जो विश्व के व्यापारिक देशों के द्वारा की गई तथा जिन पर उनके संसद द्वारा सहमति प्राप्त है इसका उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादकों निर्यातकों तथा  आयातकों के बीच व्यापार में सहयोग करना है
·         WTO उन संध्या पर वार्ता के लिए मंत्र प्रदान करता है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बाधाओं को दूर करने तथा सभी के लिए एक समान परिस्थिति उपलब्ध कराना जो उनके आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में योगदान दे सके  डब्ल्यूटीओ की गतिविधियां इस प्रकार है
·         व्यापार में आने वाली  बाधाओं को वार्ता के माध्यम से कम अथवा समाप्त करना जैसे-  आयत प्रशुल्क व्यापार संबंधी बाधाएं अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विनियम का पालन जैसे- एंटी डंपिंग, सब्सिडी, उत्पादन मानक आदि
·         WTO  के संदर्भ में सहमति प्राप्त नियमों, जिनमें वस्तुओं का व्यापार, सेवा व्यापार तथा व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार आदि के अनुप्रयोग का प्रशासन निगरानी
·         अपने सदस्य देशों के मध्य संधि के अनुप्रयोग तथा व्याख्या से उत्पन्न विवादों का समाधान करना
·         अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संबंध में विकासशील देशों की सरकारों क्षमता निर्माण मैं वृद्धि करना
·         लगभग ऐसे 30 देशों के विकास की प्रक्रिया मैं सहयोग करना जो अभी तक इस संगठन के सदस्य नहीं है
·         अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए कुछ न्याय संगत अपवादो अथवा पर्याप्त सुविधाओं के साथ खोलना जिससे सतत विकास को प्रोत्साहन और बढ़ावा मिले
 पिछले 60 वर्षों में GATT  तथा उसके  पहले WTO, जिसका गठन 1995 में  हुआ, अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के निर्माण में सहयोग किया है वर्तमान में WTO  के 153 सदस्य हैं जिनमें से 117 सदस्य विकासशील देश हैं WTO  की  क्रियाकलापों में सहयोग के लिए 700 कर्मचारियों से युक्त एक सचिवालय की स्थापना की गई है जिसका प्रमुख WTO  का महानिदेशक होता है यह सचिवालय  जेनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है तथा वार्षिक बजट लगभग 180 मिलियन  डॉलर का है WTO की 3 भाषाएं हैं --अंग्रेजी, फ्रेंच तथा स्पेनिश
   WTO  मैं लिए जाने वाले निर्णय सभी सदस्य देशों की आम सहमति पर आधारित होते हैं जिनकी बैठक 2 वर्षों में एक बार होती है

3. विश्व व्यापार संगठन तथा व्यापार व्यवस्था के सिद्धांत
WTO  की संध्या लंबी एव जटिल है क्योंकि इनमें बातों के साथ साथ बहुत बड़ी मात्रा में क्रियाकलापों को भी शामिल किया गया है जिनमें  कृषि, वस्त्र, बैंकिंग, दूरसंचार, सरकारी खरीद, औद्योगिक मानव एवं उत्पाद सुरक्षा, तथा बौद्धिक संपदा शामिल है
 WTO  द्वारा बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के मुख्य सिद्धांत है

1.अति प्रिय राष्ट्र - विश्व व्यापार समझौते के अधीन सामान्यता कोई देश अपने व्यापारिक सहयोगियों के मध्य विभेद नहीं कर सकता है इसमें अगर किसी उत्पाद विशेष के लिए किसी देश को विशेष लाभ जैसे -  न्यूनतम सीमा शुल्क दरें आधी दी जाती है तो यह WTO  के सभी सदस्य देशों को देना होगा यह सिद्धांत है अति  प्रिया राष्ट्र  का व्यवहार कहलाता है अति प्रिय राष्ट्र(MFN) का अर्थ है कि जब भी कोई देश अपनी व्यापार  बाधाओं को कम करता है या अपने बाजारों को खोलता है तो यह उसे उस वस्तु या सेवा के लिए सभी व्यापारिक साझेदारो के लिए करना होगा चाहे वह अमीर हो या गरीब मजबूत हो या कमजोर
2. राष्ट्रीय व्यवहार - स्थानीय वस्तु का उत्पादन के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए खासतौर पर तब जब विदेशी वस्तु बाजार में प्रवेश कर चुकी है ठीक यही बात विदेशी एवं  घरेलू सेवाओ व्यापार चिन्ह(TRADEMARK),  कॉपीराइट, तथा पेटेंट पर भी लागू होता है राष्ट्रीय व्यवहार केवल उन वस्तुओं, सेवाओं या बौद्धिक संपदा पर लागू होता है जो बाजार में प्रवेश कर चुके हैं इसलिए आयत पर सीमा शुल्क लेना राष्ट्रीय व्यवहार का उल्लंघन नहीं है

3. मुक्त व्यापार -  व्यापार को प्रोत्साहन देने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में बाधाओं को दूर करना शामिल है इन बादलों में सीमा शुल्क या प्रशुल्क की उचित  दरें आदि शामिल है

4. स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा -  कभी कभी WTO  कोमुक्त व्यापारसंस्था के रूप में निरूपित किया जाता है, पर यह पूरी तरह सत्य नहीं है  यह कहना ज्यादा सत्य होगा कि यह खुला, स्वच्छ, प्रतिस्पर्धा वाले नियमों पर आधारित व्यवस्था है WTO  कि कुछ अन्य संधियों का लक्ष्य कृषि, बौद्धिक संपदा सेवाएं आदि में स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन देना है

5. विकास एवं आर्थिक सुधारों को बढ़ावा - WTO  व्यवस्था विकास में योगदान देती है यह संध्या GATT  के उन पूर्ववर्ती  प्रावधानों को भी शामिल करती है जो विकासशील देशों के लिए विशेष सहायता और व्यापार  रियायत देती है जिससे वे उस समृद्धि और विकास को प्राप्त कर सकें

WTO का सर्वोच्च प्राधिकार मंत्रीस्तरीय सम्मेलन है जो कम से कम 2 वर्ष में एक बार अपनी बैठक करती है WTO  का सचिवालय जेनेवा में स्थित है इसमें लगभग 450 कर्मचारी हैं तथा इसके अलावा चार उप महानिदेशक भी होते हैं

4. निर्णयन प्रक्रिया
WTO का संचालन सदस्य देशों की सरकारों द्वारा किया जाता है सभी महत्वपूर्ण निर्णय सदस्य द्वारा सामूहिक रूप से किए जाते हैं, जो या तो मंत्रियों द्वारा या उनके राजदूतों प्रतिनिधियों के द्वारा, जिन की बैठक जेनेवा में नियमित रूप से होती है जब WTO  किसी देश की नीतियों पर नियम लागू करता है तो यह पूर्व से हुई WTO  सदस्यों की वार्ता का परिणाम होता है यह नियम सदस्य देशों द्वारा स्वयं पर लागू किए गए निर्धारित प्रक्रिया से लागू होता है जिसमें व्यापार प्रतिबंध भी संभव है यह प्रतिबंध सभी सदस्य देशों द्वारा लगाए जाते हैं  सर्वसम्मति  से किसी निर्णय पर पहुंचना सभी सदस्य देशों के लिए कठिनाई भरा हो सकता है परंतु इसका मुख्य लाभ यह है कि सभी सदस्य देशों के लिए यहां लिए गए निर्णय ज्यादा बेहतर तरीके से स्वीकार होते हैं WTO  सदस्यों द्वारा संचालित, सर्वसम्मति पर आधारित संगठन है इसलिए WTO  सदस्य देशों का संगठन है इसमें  देशों के द्वारा अपने निर्णय विभिन्न पदों और समितियों के माध्यम से लिए जाते हैं जिसके सदस्य WTO  के सभी सदस्य देश होते हैं  मंत्रीस्तरीय बैठक किसी भी बहुपक्षीय व्यापार संधि से संबंधित सभी मुद्दों पर ले सकती है

5.विश्व व्यापार संगठन (WTO)  की उभरती भूमिका
   यह विश्व व्यापार के 97%   पर अधिकार रखता है यह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रीय के मध्य होने वाले व्यापार के वैश्विक नियमों से संबंधित है WTO  की मुख्य ताकत, जिनमें से कई इसकी स्थापना के महत्वपूर्ण कारण रहे हैं, मुक्त व्यापार के लाभ को प्रोत्साहन और इसका एक  नियमबध संस्था होना है
Ø  WTO बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के प्रोत्साहन देने के लाभ को बताता है
Ø  WTO  अंतरराष्ट्रीय शासन की एक व्यवस्था बन गया है जो अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देता है
Ø  WTO  को विवाद निपटारा तथा संधि के सर्जन (उत्पन्न करना, त्यागना)की शक्ति है जो सदस्यों पर बाध्यकारी होती है WTO  कि यह ताकत व्यापारिक विवादों को युद्ध में परिणित होने से बचाता है
Ø  WTO  संगठन के उत्पाद तथा भेदभाव रहित व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यहां किए गए समझौते विकसित और विकासशील देशों ,दोनों की समान भागीदारी से लिए गए नियमों पर आधारित होते हैं
Ø  WTO  सचिवालय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है यह विकासशील देशों के अधिकारियों के लिए वर्ष में दो बार  जेनेवा में होता है
Ø  WTO के मत का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह अपनी भूमिका निभाने में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(IMF), विश्व बैंक(WB) तथा अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं का सहयोग लेता है जिससे व्यापक आर्थिक वैश्विक नीति निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करता है

Comments

Popular posts from this blog

पशुपालक खानाबदोश || UNIT - 02 || M.A 1ST YEAR || IGNOU

इकाई दो                                    पशुपालक खानाबदोश     प्रस्तावना -  पशुपालक खानाबदोश एक जगह अपना मुख्य निवास स्थान बनाते थे और जरूरत पड़ने पर दूसरे इलाकों में जाते थे वह विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों के बारे में जानकारी रखते थे और अपने जीवन यापन के लिए इसका उपयोग करते थे संतानोत्पत्ति , निवास और उनके भोजन की भी जानकारी रखते थे इस ज्ञान से उन्हें पेड़ पौधे लगाने और पशु पालने में सुविधा हुई   कुछ समूह शिकार और संग्रह करते रहे और आज भी कुछ ऐसे अलग समूह है जबकि दूसरे समूह ने पशुपालन को जीवनयापन का प्रमुख साधन बना लिया या खेती को जीवन यापन का प्रमुख हिस्सा बना लिया पशुपालन एक नए बदलाव की आहट थी लोग एक जगह रह कर खेती करने लगे और लोगों ने जानवरों को पालना सीख यह इनकी जीवनशैली का पहला कदम था   पशुओं को पालतू बना...

Unit -4 मार्गदर्शन एवं परामर्श : अवधारणा एवं रणनीतियां

            Unit -4     2. मार्गदर्शन एवं परामर्श : अवधारणा एवं रणनीतियां मार्गदर्शन एवं परामर्श ( Guidance and councelling )   मार्गदर्शन या निर्देशन शब्द का अर्थ सहायता करने से ले जाता है शिक्षा के क्षेत्र में इस अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान है बाल पोषण की परिभाषा मानव क्रियाओं में शैक्षिक , व्यवसायिक , मनोरंजन संबंधी , तैयार करने , प्रवेश करने और प्रगति करने में व्यक्ति की सहायता करने की प्रक्रिया के रूप में की जा सकती है विभिन्न मनोविज्ञान ने मार्गदर्शन की विभिन्न परिभाषा दी हैं मार्गदर्शन को व्यक्ति को उसके जीवन के लिए तैयार करने और समाज में उसके स्थान के लिए तालमेल करने में या सहायता देने के रूप में परिभाषित किया जाता है   मार्गदर्शन वह स्थिति है जहां से व्यक्ति शैक्षणिक तथा व्यवसाय उपलब्धियों के लिए विभाजीत होते हैं ( केफेयर )     माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952 ...

घर - बहार ( महादेवी वर्मा) || Chapter 4 hindi b || b.a 2nd/3rd year hindi - b

           4.  घर - बहार ( महादेवी वर्मा )   महादेवी वर्मा का निबंध “ श्रृंखला की कड़ियां ”  में लेखों का संग्रह है   जिनमें नारियों की समस्याओं को लिखा है इन्होंने भारतीय नारी की प्रति स्थितियों को अनेक बिंदुओं से देखने का प्रयास किया है अन्याय आदि . मैं तो सर्जन के प्रकाश - तत्वों के प्रति निष्ठावान हूं उनका यह व्यक्तवय उनके निबंध “ घर बाहर ” के संदर्भ में भी उचित है लेखिका ने नारियों की घर और बाहर की स्थितियों पर विचार प्रकट किया है लेखिका का मानना है कि “  युगो से नारी का कार्य - क्षेत्र घर में ही सीमित रहा “ उनके कर्तव्य को निर्धारित करने में उसकी कोमलता , संतान पालन आदि पर तो ध्यान रखा ही गया , साथ ही बाहर के कठोर संघर्ष में वातावरण और परिस्थिति में भी समाज को ऐसा ही करने के लिए बाध्य किया घर - व - बाहर का प्रश्न उच्च , माध्यम तथा साधारण वित्त वाले , घर की स्त्रियों से संबंध रखता है यह...