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संज्ञानात्मक सूचना प्रक्रियाकरण दृष्टिकोण unit -02


   Unit - 2   संज्ञानात्मक सूचना प्रक्रियाकरण दृष्टिकोण
संज्ञान शब्द का तात्पर्य है जाने या ज्ञान पाने की प्रक्रिया या  ज्ञान पाने में, हम विभिन्न प्रकार की संज्ञानात्मक प्रक्रिया  का उपयोग करते हैं जैसे चिंतन,स्मरण, तथा तर्क  आदि यह सभी क्रियाएं मस्तिष्क में उच्च केंद्र द्वारा नियंत्रित होती है केवल मनुष्य ही प्राप्त सूचनाओं के आगे जाकर मानसिक क्षमता का उपयोग कर सकता है वह वर्तमान में जो देख रहा है उससे आगे जाने की क्षमता रखता है ज्ञान पाने के लिए हम विभिन्न प्रकार की मानसिक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं

1. सूचना प्रक्रिया करण
Ø  सूचना प्रक्रियाकरण से अभिप्राय एक ऐसी प्रक्रिया से हैं जिनमें प्राप्त सूचना का भली-भांति विश्लेषण और मंथन करके उससे कुछ निश्चित सूचना, ज्ञान या अनुभव प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है
Ø  इस प्रकार सूचना प्रक्रिया करण के माध्यम से व्यक्ति किसी प्राप्त सूचना, आंकड़े या अनुभवों का भली-भांति मंथन और विश्लेषण कर उसे आगे अपने प्रयोजन हेतु काम में लाने का पर्यटन रहता है यही कारण है कि सूचना प्रक्रिया कारण उसे अपनी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का हल करने हेतु नवीन अनुभव एवं समाधान की उपलब्धि में अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने के कार्य में अच्छी तरह सहायक होता है
Ø  व्यापक अर्थ में संज्ञानात्मक मनोविज्ञान हमारा दिमाग कैसे कार्य करता है इस प्रश्न का अध्ययन करता है हमारा दिमाग ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से सूचनाओं को ग्रहण करता है मानसिक प्रक्रिया के अध्ययन का यह दृष्टिकोण सूचना प्रक्रिया करण दृष्टिकोण कहलाता है इन सब में चिंतन सबसे प्रमुख संज्ञानात्मक प्रक्रिया है इसी के द्वारा हम समृति  में  सूचना को प्राप्त करते हैं ताकि परिस्थिति के अनुरूप व्यवहार किया की जा सके चिंतन एक उच्च मानसिक प्रक्रिया है

2. सूचना  प्रक्रियाकरण  सिद्धांत
Ø नए अनुभव  ग्रहण करना, समस्याओं का हल ढूंढने और अपने व्यवहार में लाने हेतु व्यक्ति प्राप्त सूचनाओं का जिस ढंग से प्रक्रिया करण करते हैं उसी आधार पर महत्वपूर्ण सिद्धांत को विकसित किया गया है  उन्हें ही मनोविज्ञान के सूचना प्रक्रिया करण सिद्धांत का नाम दिया गया है इस प्रकार इन सिद्धांतों के द्वारा जिस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयत्न किया जाता है वह यही होता है कि जब कोई व्यक्ति किसी परिस्थिति से गुजर रहा होता है

Ø  तो उस समय संज्ञानात्मक रूप से उसके दिमाग में किस प्रकार की प्रक्रिया होती हैं इन सिद्धांत के द्वारा इस बात पर प्रकाश डाला जा सकता है कि मानव मस्तिक अपनी ज्ञानेंद्रियों द्वारा सूचना का कैसे अभ्यास करता है वह इसको किस तरह उपयोग में आता है हमारे मस्तिष्क की तुलना कंप्यूटर प्रणाली से की जाती है कंप्यूटर में सूचना तीन भागों में बटा होता है 1.input 2.output, 3.processing यही बात मानव मस्तिष्क द्वारा सूचना प्रक्रिया करण के लिए भी यूज होती है सूचना प्रक्रिया करण सिद्धांतों में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में तीन चरण में सूचना प्रक्रिया करण सिद्धांत को स्वीकार किया जाता है
 1.इंद्रिया पंजीकरण स्तर
 2. अल्पकालीन स्मृति  स्तर
 3. दीर्घकालीन स्मृति स्तर
 3. सूचना प्रक्रिया करण मॉडल
Ø मन तथा मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में सूचना प्रक्रिया करण डिस्टिक ऑन अपनाने के लिए कंप्यूटर की खोज ने मनोविज्ञान को प्रोत्साहित किया कंप्यूटर मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान से बहुत कुछ सीखा जैसे प्रोग्राम रचना के बारे में तथा मनोविज्ञान ने भी कंप्यूटर मॉडल से बहुत कुछ सीखा मानसिक प्रक्रिया को एक कंप्यूटर की क्रिया प्रणाली से तुलना कर अच्छी तरह समझा जा सकता है

Ø  ऐसे विचार प्रस्तुत किया गया है कि कंप्यूटर जिस तरह सूचनाओं को विभिन्न चरणों में प्रक्रमण(Processing)करता है उसी प्रकार मनुष्य का मानस(मन) भी सूचनाओं प्रक्रमण (Processing) कई चरणों में करता है सूचना प्रक्रिया करण दृष्टिकोण के अनुसार  यह विभिन्न चरणों द्वारा चलती है प्रत्येक चरण का अपना एक कार्य होता है जो की सूचना processing  के अगले चरण के लिए आगे बढ़ती है प्रायोगिक प्रहस्तम  के द्वारा संज्ञानात्मक मनोविज्ञान सूचना प्रक्रिया करण के चरणों को समझने का प्रयास करता है तथा गोचर की व्याख्या करने के लिए मॉडल का निर्माण करता है

  4. मानसिक प्रक्रिया का मापन
संज्ञानात्मक दृष्टिकोण  उन ना देखी जा सकने वाली घटनाओं पर केंद्रित है जिन्हें निवेश(input), तथा बाह्य अनुक्रिया(output) के बीच हमारे मानस में घटित होने की कल्पना की जाती है हम मानसिक घटनाओं के मापन का प्रयास करते हैं और सूचना प्रक्रमण के मॉडल की रचना कहते हैं यह मॉडल बताता है कि दिमाग किस तरह सूचनाओं को ग्रहण करता है तथा किस तरह उन सूचनाओं के प्रकरण के लिए समृति, चिंतन और निर्णय आदि करता है इससे हमें यह प्रश्न को समझने में सफलता मिलती है कि मनुष्य कैसे सोचता है ?  कैसे  तर्क करता है ?  कैसे समस्या का समाधान करता है ?

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