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संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम वैश्वीकरण और नई वैश्विक अर्थव्यवस्था || UNIT - 1 || Globlazation 3rd year


1.संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम  वैश्वीकरण और नई वैश्विक अर्थव्यवस्था

1.संरचनात्मक समायोजन नीतियों का विकास 2 आर्थिक संगठनों से हुआ
(1)अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)   (2)विश्व बैंक(WB)
1950 के आरंभिक दशक से ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक के द्वारा शर्तें जिसमें  ऋण और कर्ज को शामिल किया गया था  संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम की नींव रखी , संरचनात्मक समायोजन नीतियों की उत्पत्ति का मुख्य कारण 1970 के दशक  के अंत में लगातार आए वैश्विक आर्थिक आपदाएं थी, जैसे कि तेल संकट ऋण संकट आर्थिक मंदी आदि | इन वित्तीय विपदा ने नीति निर्धारकों को यह निर्णय लेने के लिए बाध्य  किया की किसी एक देश की आर्थिक स्थिति तथा अन्य देश को संवारने के लिए अत्याधिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है जबकि संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम का मुख्य केंद्र बाह्य ऋण और व्यापार घाटा को संतुलित करना रहा है संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम तथा उसके निर्णय उधार देने वाली संस्थाओं ने ऐसे देशों को जो प्राकृतिक आपदाओं के कारण आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं साथ ही साथ आर्थिक व्यवस्था का शिकार है उन्हें सहायता पहुंचा कर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार क्या है
           1970 के दशक में दो प्रमुख तेल  से  उपजी समस्या ,बढ़ते आर्थिक संकट तथा भुगतान संतुलन की समस्या जिसका सामना अनेक विकासशील देश कर रहे थे इसके जवाब में 1980 में संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम की रूपरेखा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ऋण दाता एजेंसी के द्वारा की गई 1970 के दशक की अनेक घटनाओं ने विश्व अर्थव्यवस्था को इसके विकास के रास्ते से भटका दिया US  का भुगतान संतुलन घाटा,US  के द्वारा सोना  मानको  की समाप्ति, US  की वियतनाम में  हार 1973 और  1979  मैं तेल मैं बढ़ोतरी, बेरोजगारी आर्थिक वृद्धि के लिए सुधारवादी उपागम की विफलता |
        विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष दोनों ने महसूस किया कि इस प्रकार के आर्थिक संकट, जिसका सामना विकासशील देश 1980 के दशक से कर रहे थे,  यह संरचनात्मक कमजोरियों की देन है, इस तरह की मान्यता ने बैंक तथा कोष दोनों को एक नई पीढ़ी की व्यवस्था स्थापना के लिए प्रेरित किया, जिसे संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है |
 मुख्यतः संरचनात्मक समायोजन विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा  अपनाएं गए नीतिगत बदलाव को विकासशील देश में लागू किए जाने के संदर्भ में होता है यह नीतिगत बदलाव वह है जिनमें विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से नए ऋण की प्राप्ति होती है जब पहले से  दिए गए ऋण पर कम ब्याज या निम्न ब्याज की उपलब्धता है संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम को इस उद्देश्य से तैयार किया जाता है कि यह किसी देश के असंतुलन के लिए ऋण उधार लेने की क्षमता को कम कर सके सामान्य शब्दों में विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लिए गए ऋण इस प्रकार तैयार होते हैं जिसका मुख्य उद्देश्य होता है  आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देना, आय बढ़ाना तथा उनको वापस  लौटाना जो उस देश  ने ग्रहण किया है इन नियमों के माध्यम से संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम ने मुक्त बाजार व्यवस्था कार्यक्रम नीतियों को लागू किया

2. वैश्वीकरण और तकनीकों का विकास
 वैश्वीकरण की प्रक्रिया के मुख्य संचालक शक्ति के रूप में तकनीकी विकास का योगदान माना जाता है तकनीक को वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के सामाजिक ज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है  तकनीकी व्याख्या हम पांच मुख्य तत्वों के आधार पर कर सकते हैं यह है उत्पादन, ज्ञान, उपकरण, स्वामित्व, और बदलाव तकनीक गतिविधियों का परिणाम है लिपि के ज्ञान को संचार के प्रथम तकनीक के रूप में माना जाता है जिसने वैश्वीकरण के विकास में योगदान दिया प्राचीन समय में मनुष्य ने लिपियों के माध्यम से सूचनाओं का संग्रहण किया जिस से और अधिक तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया गया जैसे छपाई मशीन के आविष्कार ने, जो उस समय एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी तकनीकी विकास था वैश्विक भूगोल की दूरियों को मिटा दिया
     समाचार पत्रों के उद्भव को वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण माना जाता है टेलीग्राफ की खोज को वैश्वीकरण के इतिहास में एक और मील का पत्थर माना जाता है स्थानों पर संचार को आसान बनाया जहां जाने की आवश्यकता नहीं थी तथा इसने संचालक परिवहन के कार्य को एक दूसरे से अलग कर दिया टेलीग्राफ के इस पहलू ने सेना का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया
 रेलवे के जाल में लंबी दूरियों को बनाया
 रेडियो के अविष्कार ने वैश्वीकरण के एक नए युग का सूत्रपात किया स्थान पर भी संचार को संभव बनाया जहां यात्रा करना संभव नहीं था 1920 के दशक तक रेडियो का प्रयोग वाणिज्य एक संचार तकनीक के रूप में होने लगा और यह जनसंचार का माध्यम बन गया विमानों का उत्पादन में प्रारंभ हुआ, 1950 के दशक में वैश्वीकरण की दिशा में जेट विमानों तथा  दूरदर्शन  में महत्वपूर्ण योगदान दिया  उपग्रह ने वैश्विक संजाल के निर्माण को संभव बनाया जिसने रेडियो नेटवर्क में आने वाली समस्याओं का समाधान किया वैश्विक नेटवर्क को अभी और मजबूत बनाने की आवश्यकता है वैश्विक संजाल के  राह  को डिजिटल तकनीको ने और आसान बनाया ऐसे संजाल वैश्विक संजाल कहे जाते हैं  

3.सूचना और संचार तकनीक का विकास

सामान्य शब्दों में सूचना और संचार तकनीक Computing  और दूरदर्शन तकनीकों को प्रदर्शित करता है तकनीकी प्रगति में सबसे ज्यादा भूमिका इंटरनेट की है इंटरनेट मूल रूप से आर्थिक  भू दृश्य  को बदल देता है सूचना एवं संचार तकनीकी वास्तविक शक्ति इस तथ्य में है की संपूर्ण कार्यालय को व्यावहारिक रूप में इंटरनेट के माध्यम से निर्मित किया जा सकता है  सूचना और संचार तकनीक नई आर्थिक संस्थाओं का निर्माण, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, गरीबी में कमी तथा संगठनों और संस्थाओं में नवीनता लाने के लिए अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध कराता है सूचना और संचार तकनीक  का उद्देश्य हैं आज के विकास के लक्ष्य को बढ़ाना, उन्नति योजना हेतु प्रशासन को सहयोग देना, विकास कार्यक्रमों का पर्यवेक्षण तथा उनको लागू करना, नागरिक प्रशासन तथा सेवा प्रदान करने में उन्नति, सूचना और ज्ञान तक नागरिकों की पहुंच बनाकर उन्हें सशक्त बनाना सूचनाओं की भागीदारी और सेवा प्रदान करने में पारदर्शिता, महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित करना

4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिरूप तथा आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक प्रतिरूप
 अंतरराष्ट्रीय व्यापार, सीमाओं के पास पूंजी, वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय है काफी देशों में यह सकल घरेलू उत्पादन के महत्वपूर्ण हिस्से को प्रदर्शित करता है ऐतिहासिक समय से ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार मौजूद रहा है औद्योगीकरण, वैश्वीकरण, बहुराष्ट्रीय निगम और आउटसोर्सिंग आदि सभी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित किया है  बिना अंतरराष्ट्रीय व्यापार के कोई भी देश केवल अपनी सीमाओं के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं में ही सीमित रह जाएगा एक वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई भी देश पूरी तरह आत्मा निर्भर नहीं है प्रत्येक देश विभिन्न स्तरों पर उन पदार्थों को बेचने के लिए जिसका वह उत्पादन करता है,  कमी वाली वस्तुओं का अधिग्रहण करने के लिए तथा अपने अन्य व्यापारिक भागीदारों से अधिक सक्षम रूप से कुछ अधिक क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए व्यापार में लगा रहता है यह एक दूसरे के बिना कार्य नहीं कर सकते हैं
       1970 के दशक से ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है वास्तव में एक ऐसा समय आता है जब द्योतक व्यापार कम समय और वह भी समान या कम कीमत पर होता है विश्व के विभिन्न भागों में ज्यादा व्यापार संभव हो सका है बिना अंतरराष्ट्रीय व्यापार के कुछ ही देश जीवन स्तर को बनाए रखने में सक्षम है वैश्विक व्यापार विविध प्रकार के संसाधनों की पूर्ति करता है यह विश्व के अलग-अलग हिस्सों में उत्पादित विविध प्रकार की वस्तुओं के वितरण की सुविधा उपलब्ध करवाता है परिणाम स्वरूप वैश्विक रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार उत्पादन लागत को कम करता है उपभोक्ता अपनी उसी कमाई से ज्यादा मात्रा में वस्तु खरीद सकता है अंतरराष्ट्रीय व्यापार ना केवल वैश्वीकरण को बढ़ावा देता है बल्कि है वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा उसके एकीकारण और क्षेत्रीय को भी बढ़ावा देता है यह अंत निर्भरता पूंजी, वस्तुएं, कच्चा माल और सेवाओं के प्रभाव के रूप में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में संबंध स्थापित करता है

5.अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा व्यापार समूह का नियमन

     पारंपरिक रूप से दो देशों के बीच संधियों के माध्यम से व्यापार का नियमन होता है 19वीं सदी में, विशेषकर यूनाइटेड किंगडम में मुक्त व्यापार में विश्वास ने प्रमुखता हासिल की, तभी से पश्चिमी देशों के बीच भी इस विचार ने पकड़ बनाई, दूसरे विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में विवाद बहुपक्षीय संधियों जैसे गेट (GEET),विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने एक वैश्विक रूप से व्यापार संरचना के निर्माण का प्रयास किया के निर्माण का प्रयास किया आर्थिक रूप से शक्तिशाली देशों ने मुफ्त व्यापार का भरपूर समर्थन क्या है उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोप में किसी क्षेत्र हेतु चयन संरक्षण प्रदान किया गया है पर शुल्क दरों में गिरावट के उपरांत इन देशों ने गैर प्रशुल्क बाधाओं जिस में एफडीआई प्राप्ति(FDI) तथा व्यापार सुविधाएं पर भी बातचीत की इच्छा जताई है पारंपरिक रूप से मुक्त व्यापार को  कृषि क्षेत्र के लिए लाभकारी माना जाता है  पर हाल के वर्षों में इसमें कुछ बदलाव नजर आए हैं वास्तव में  यू.एस तथा जापान जैसे देशों  के   कृषिय  दबाव समूह ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यापार संधि में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के मुकाबले किसी क्षेत्र के संरक्षण हेतु  विशिष्ट नियमों की अधिकता के लिए जिम्मेदार है
मंदी के  दौरान सुल को मैं  बढ़ोतरी करके उद्योगों के संरक्षण का भारी दबाव होता है और व्यापक मंदी का दौर में यह संपूर्ण विश्व में देखी जा सकती है

6. व्यापार प्रखंड
      सभी व्यापार प्रखंडों का मुख्य उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना है और उनके कार्य करने के तरीकों में अंतर होता है व्यापार प्रखंडों की गतिविधि को तीन भागों में दिया गया है
1.क्षेत्रीय व्यापार के द्वारा किए गए नवीनतम समझौते, बैठकों तथा अन्य  क्रियाकलाप
2. व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भविष्य की योजनाओं का प्रतिरूप तथा
3. सरकारी संगठन का उस पर ध्यान देना और नीतियों को शीघ्र कार्य करने की समय विधि

7.प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा पूंजी का अंत प्रवाह

 किसी देश की एक कंपनी द्वारा दूसरे देश में भौतिक निवेश के माध्यम से कारखाने की स्थापना को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में परिभाषित किया जाता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वह अवस्था है जिसमें कोई निवेशक अपने किसी ऐसे उधम में बेहतर लाभ के लिए निवेश करता है जो साथ मिलकर अंतराष्ट्रीय व्यापार या बहुराष्ट्रीय कंपनियों का निर्माण करते हैं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होने की आवश्यक शर्ते हैं -  जब अपने विदेशी संबंधों पर पित्र उधम का पूरा नियंत्रण हो जाता है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इस नियंत्रण को उधम का 10%  या उससे अधिक का मैं मतदान अधिकार या उधम में समान अधिकार के रूप में परिभाषित करता है
भूमि, खदान, कारखानों आदि उत्पादक में विदेशी समिति को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मापक के रूप में प्रयोग किया जाता है बढ़ते विदेशी निवेश को बढ़ते आर्थिक वैश्वीकरण का मापक माना जा सकता है

8. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के गुण/ लाभ
 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि जहां  यह निवेश होता है उसका आर्थिक विकास तीव्र हो जाता है यह बात मुख्यतः विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश पर लागू होता है यह भी देखा गया है कि कई देशों को आर्थिक संकट का सामना करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने मदद की है
      प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तकनीकों की भी अनुमति प्रदान कर रहा है  तकनीकों का महत्व  इसी बात से प्रकट होता है की वस्तुओं तथा सेवा के व्यापार तथा वित्तीय संसाधनों के निवेश से अलग होता है यह किसी देश के लोकल बाजार को भी बढ़ावा देता है वैसे देश जो दूसरे देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करते हैं, अपने देश के उस व्यवसाय विशेष में मानव संसाधन को रोजगार और प्रशिक्षण द्वारा उन्नत बनाते हैं
     जिस किसी भी देश में निवेश होता है वहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रोजगार के नए अवसर को जन्म देते हैं यह काम करो (TAX) के वेतन वृद्धि में भी सहयोग करता है यह उनके जीवन स्तर तथा जीवन-यापन की सुविधाओं को और बेहतर बनाता है
 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करो (TAX) के माध्यम से उत्पन्न राजस्व के द्वारा आय  स्तर में भी वृद्धि करता है जो देश दूसरे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करते हैं उन्हें भी इसका लाभ मिलता है इन देशों की कंपनियां इन पूंजी के माध्यम से नई बाजार को तलाशते हैं

9. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से हानियां
 सबसे बड़ी खामी या कमी है एक कंपनी देश में स्वामित्व खोने का खतरा  है
किसी मेजबान देश का आकार, उसकी स्थिति तथा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करता है
 यह भी देखा गया है कि मेजबान देशों की सरकारें भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से समस्याओं का सामना करती है निवेशक जहां निवेश करता है, उस देश की आर्थिक नीतियों के प्रति पूर्ण आज्ञाकारी नहीं होते हैं

10. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्धारक
         एक सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक तत्व है उस देश की अर्थव्यवस्था का आकार तथा उसमें वृद्धि की संभावना जहां यह निवेश हो रहा है समानता ऐसा माना जाता है कि जिस देश का बाजार बड़ा है वहां आर्थिक दृष्टिकोण से तीव्र विकास की संभावना होती है और निवेशक इन देशों में ही अपना अधिकांश निवेश करते हैं
 किसी भी देश की जनसंख्या उस देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं ऐसे देश में जहां प्रति व्यक्ति आय उच्च है  या अधिक है तो  प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से अच्छे परिणाम की आशा होती है
 विदेशों से निवेश आकर्षित करने में एक देश के मानव संसाधन की स्थिति भी महत्व भूमिका निभाती है कुछ खास देशों जैसे चीन ने अपने देश के मानव संसाधन की गुणवत्ता सुधारने में सक्रियता दिखाई है इसने अपने नागरिकों के लिए कम से कम 9 वर्ष की शिक्षा अनिवार्य कर रखी है इस प्रक्रिया ने चीन के काम करो की गुणवत्ता सुधारने में महत्व भूमिका निभाई है ऐसे देश में जहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, निवेशक को  आकर्षित करते हैं सऊदी अरब तथा तेल समृद्धि देश इसके उदाहरण है जहां विदेशी कंपनियां पेट्रो संसाधन में निवेश करने के लिए हमेशा तैयार रहती है कम से कम लागत भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश  को अपनी ओर आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारक है

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