Unit || पार राष्ट्रीय निगम और वैश्वीकरण प्रक्रिया
पार राष्ट्रीय कंपनी को कभी-कभी ऐसे कंपनियों के रूप में सूचित किया जाता है जो एक समय में एक से अधिक देशों में अपना कार्य करते हैं पार राष्ट्रीय निगम वैसे उद्योगों का कहां जाता है जिन का उत्पादन प्रबंध तथा सेवा उपलब्ध एक से अधिक देश में होता है ऐसी कंपनी का मुख्यालय किसी एक देश में स्थित होता है तथा वह वहीं से एक से अधिक देशों में कार्य करते हैं, उनकी शाखाएं अनेक देशों में फैली होती हैं, इन्हें राष्ट्रीय अथवा पार राष्ट्रीय निगम कहा जाता है
जब बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसी एक बाजार की क्षमता का पूर्ण उपयोग कर लेती हैं तो वे अन्य बाजारों का विकास प्रारंभ कर देती हैं जिससे विदेशी निवेश को अधिक लागत दक्ष तथा स्थानीय बाजार की संभावना का बेहतर लाभ प्राप्त हो सके वर्तमान में आर्थिक गतिविधियों के विश्वव्यापी प्रसार को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारको में राष्ट्रीय निगम(tnc)
सम्मिलित है
TNC विश्व के कुछ सर्वाधिक शक्तिशाली आर्थिक और राजनीतिक इकाइयां बन गई है पार राष्ट्रीय निगम का विश्व के सभी तकनीकों तथा उत्पाद के नब्बे पर्सेंट भाग पर कब्जा है और यह विश्व व्यापार के 70 भाग में है जब से वैश्वीकरण की प्रक्रिया आरंभ हुई है तब से विश्व भर में पार राष्ट्रीय निगम(TNC) की संख्या में वृद्धि हुई है विश्वव्यापी पहुंच के बावजूद इन के गृहक्षेत्र मुख्यतः उत्तरी उद्योगिक देशों में है जहां विश्व के 90%
से अधिक
TNC स्थित हैं इसमें से आधे से अधिक केवल पांच राष्ट्रीय फ्रांस, जर्मनी,नीदरलैंड, जापान तथा अमेरिका है
ऊर्जा के संदर्भ में वे विश्व के अधिकांश तेल, गैसोलीन, डीजल तथा जेट इंजन का उत्पादन, शुद्धिकरण और वितरण करती है साथ ही साथ यह विश्व के तेल, कोयला, गैस, जलविद्युत तथा परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण से भी संबंधित है यह विश्व के खनिजों में खनन के अधिकांश भाग से संबंधित है, यह विश्व के अधिकांश, ऑटोमोबाइल,, हवाई जहाज, संचार उपग्रह, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान, रसायन,
तथा कथा जब तकनीक उत्पादों के उत्पादन बिक्री से संबंधित है यह लकड़ी उत्पादन तथा निर्मित कागज के अधिकांश भाग का निर्माण करती है विश्व के अनेक प्रमुख फसलों का भी उत्पादन करती है
2.पार राष्ट्रीय कंपनियां तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और तकनीकी प्रवाह
विदेशी निवेश(FDI) के माध्यम से पार राष्ट्रीय निगम(TNCs) एक से अधिक देशों में उत्पादन सुविधाओं पर स्वामित्व और नियंत्रण रखती है अपनी पारंपारिक परिभाषा के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) एक देश की एक कंपनी का दूसरे देश में भौतिक निवेश के माध्यम से कारखानों का निर्माण तथा इसके माध्यम से उत्पादक जैसे कारखाने,
खानो तथा भूमि पर विदेशी स्वामित्व प्राप्त करने वाले कदमों से संबंधित है कोई भी निवेश जिसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) माना जा सकता है इसके लिए अभिभावक और दोनों का अपनी विदेशी अनुषंगी का कम से कम10% साधारण शेयर प्राप्त करना आवश्यक है
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्रियाकलापों के द्वारा विभिन्न अर्थव्यवस्था तथा प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग का सुनिश्चित किया जाता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि उस देश में ,जहां निवेश क्या गया है आर्थिक विकास में मदद करता है यह मुख्यतः विकासशील देशों पर लागू होता है यह भी देखा गया है की FDI ने आर्थिक संकट का सामना करने तथा उससे उबरने में कुछ देशों की मदद भी की हैं FDI करो के मध्यम से उत्पन्न राज्य द्वारा घरेलू देश की आय वृद्धि में भी मदद करता है यह देश की उत्पादकता को बढ़ाने में भी भूमिका निभाता है ऐसे देश जो दूसरे देशों में एफडीआई करते हैं उन देशों पर भी इन का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है कंपनियां नए बाजारों के अवसरों के फल स्वरुप अधिक आए और लाभ उत्पन्न करती हैं
इन देशों को बेहतर तकनीकी संसाधन की उपलब्धता के अवसरों का लाभ निर्यात बाजार के खुलने से और अधिक होता है यह भी देखा गया है कि दूसरे देशों से एफडीए प्राप्त करने के परिणाम स्वरूप प्राप्तकर्ता देशों को अपने यहां ब्याज दरों को निम्न स्तर पर रखने में मदद मिलती है इससे सबसे ज्यादा लाभ प्राप्त करने वालों में छोटे तथा मध्यम आकार के व्यापारिक उद्योग होते हैं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(FDI) के द्वारा एक देश में तकनीक उच्च तकनीक और कुशलता का स्थानांतरण संभव हो सकता है एफडीआई के द्वारा नए शोध और विकास कार्य को भी किया जाता है विकासशील देशों में पार राष्ट्रीय निगम के आने से नवीन उत्पादन, प्रक्रिया का प्रवेश होता है जिससे इन देशों की उत्पादकता तथा कर्मचारी में भी उन्नति होती है वैश्वीकरण के युग में पार राष्ट्रीय निगम की वृद्धि ने विकास तथा सूचना और संचार तकनीकों को बढ़ाया है तथा इन तकनीकों का दोहरा प्रभाव है यह आवश्यकता को बढ़ाती है तथा वैश्वीकरण के लिए नए अवसरों को उत्पन्न कराती है यह बिखरे हुए उत्पादन संजाल को एकत्रित करके सीमा पार संबंधों को बनाने में अपनी भूमिका निभाता है किसी देश की जनसंख्या उस देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसके अलावा ऐसे देश जिन की प्रति व्यक्ति आय अधिक है और उसके नागरिकों की अच्छी खर्च करने की क्षमता है तो यह निवेशक को को अत्यंत बेहतरीन लाभ की संभावना देता है पार राष्ट्रीय निगम (TNCs)
संसाधनों का सर्वोत्तम प्रयोग द्वारा, लाभ विशेषकर विकासशील देशों को पहुंचता है
3 वैश्विक उत्पादन नेटवर्क तथा वैश्वीकरण
वैश्वीकरण की बढ़ती आवश्यकता के फलस्वरुप अंतरराष्ट्रीय आर्थिक लेन-देन के संगठन में 3 अंतरसंबंधित परिवर्तन आए हैं प्रथम, वैश्विक कार्यक्रम में वैश्विक उत्पादन नेटवर्क एक महत्वपूर्ण संगठनिक नवाचार है जो एक विशिष्ट उत्पादन तथा सेवा के उत्पादन,वितरण तथा उपभोग को सम्मिलित करता है एक वैश्विक उत्पादन नेटवर्क वह भी है, जो अंतरसंबंधित केंद्रों के राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर जुड़ाव तथा राष्ट्रीय एवं उपराष्ट्रीय क्षेत्रों के विभिन्न भागों के मध्य एकीकरण को सूचित करता है वैश्विक उत्पादन नेटवर्क की वृद्धि में एक महत्वपूर्ण कारक वैश्वीकरण भी है वैश्वीकरण के परिणाम स्वरुप अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के जोखिम तथा लागत मैं महत्वपूर्ण कमी और अंतरराष्ट्रीय तरलता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है फल स्वरुप वैश्विक निगमों ने इसका प्रारंभिक लाभ उठाया है यह विदेशी संसाधन तथा क्षमताओं की बेहतर पहुंच को बढ़ाता है जो किसी कंपनी की अनुषंगी कंपनी के लिए आवश्यक होता है
4. पूंजी बाजार की संरचना / ढांचा तथा कार्यक्रम
पूंजी बाजार अन्य साधारण बाजार की तरह ही है, जहां से एक सरकार अथवा 1 कंपनी( विशेषकर एक निगम) अपने क्रियाकलापों तथा दीर्घ अवधि के निवेश के लिए पैसा प्राप्त कर सकते हैं पूंजी बाजार कंपनियां, सरकारों तथा अन्य संगठनों के द्वारा दीर्घ अवधी निवेश के लिए तथा अपने संबंधित व्यापार को मान्यता प्राप्त कराने के उपकरण के रूप में बड़ी मात्रा में पैसा प्राप्त करने वाले स्थान से हैं जहां कंपनियां और सरकार दीर्घ अवधि का कोश प्राप्त कर सकती हैं यह वह बाजार है जहां पैसा 1 वर्ष से अधिक अवधी हेतु प्राप्त किया जाता है पूंजी बाजार में शेयर बाजार तथा बंध
(BOND) का बाजार भी शामिल है पूंजी बाजार दो प्रकार के होते हैं
1,प्राथमिक बाजार वह है जहां नए शेयर और बॉन्ड जारी किए जाते हैं तथा निवेशक को बेचे जाते हैं
2, दूसरा बाजार में है जहां उपस्थित प्रतिभूतियों का विक्रय होता है तथा एक निवेशक से दूसरे निवेशकों को सामान्यतः विनीमय किया जाता है प्राथमिक बाजारों के द्वारा नए शेयर अथवा बॉन्ड जारी कर नई पूंजी प्राप्त किया जाता है जिसे फिर दूसरे बाजार में लगाया जाता है
पूंजी बाजार के साथियों में मुख्यतः वे आते हैं जिनके पास कोष की आधिक्य अथवा कमी है वैसे जिनके पास मुद्रा अधिक है पूंजी बाजार में निवेश द्वारा अपने निवेश पर उच्च लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर वैसे लोग जिनके पास कोष की कमी है अपने स्टॉक तथा बॉन्ड को बेचकर पूंजी बाजार से पूंजी प्राप्त करने की आशा करते हैं यह दोनों प्रकार की पूंजी बाजार को गतिशील रखती है पूंजी बाजार पूंजी को उत्पादक कार्य में प्रयोग करने के लिए आवश्यक आर्थिक क्रियाएं करता है बचत करता पूंजी बाजार में शेयर तथा बॉन्ड के माध्यम से अपने पैसों का निवेश करता है लेनदार बचत कथा द्वारा पूंजी में निवेश किए गए पैसे को उधार लेता है
अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार में शेयर के व्यापार का सबसे अच्छा उदाहरण विदेशी बॉन्ड है अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार के कुछ प्रसिद्ध शेयरों में, यूरोबॉन्ड, अमेरिकी जीडीआर(GDR) है यूरो बॉन्ड एक ही मुद्रा का प्रभुत्व रखने वाला बॉन्ड है, जो किसी विदेश में उसी मुद्रा में भेजा जा सकता है उदाहरण जापानी येन को फ्रांस में बेचा जाता है | इसमें केंद्रीय बैंक, बड़े निगम, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, वाणिज्यिक बैंक, तथा अन्य सरकारी एजेंसी शामिल है
5.अपतटीय बैंकिंग / तटपारीय बैंकिंग / विदेशी बैंकिंग
अपतटीय बैंकिंग शब्द बैंकों के द्वारा अपने गृह देशों के बाद अपने विदेशी कार्यक्रमों के माध्यम से व्यापार को परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है अपतटीय बैंकिंग को, (जो अन्य देश के बैंक है)मैं जमा करता को निम्न कर(TAX)
तथा ग्राहकों को पूर्ण लाभ प्रदान करने का आश्वासन देते हैं, एक अपतटीय बैंकिंग जमा करता के निवास वाले स्थान से बाहर का स्थान एक बैंक होता है अपतटीय बैंक एसी जवाब के रूप में नामांकित किया जाता है जो बैंक की अवस्थिति वाले देश के विभिन्न मुद्रा में होता है अपतटीय मुद्रा जमाओ मैं सामान्यता यूरो मुद्रा आती है अपतटीय बैंकिंग कुछ विशिष्ट सेवा जैसे उच्चतर निजी
(privacy) तथा बैंक गोपनीयता का लाभ देती है बैंक विदेशों में स्थित एजेंसी कार्यालय के माध्यम से विदेशी व्यापार कर सकती है,जो कर्ज़ तथा स्थानांतरण कोष की सब के सब इतने फेंकने वाले व्यवस्था करती है
बैंकों की विदेशी शाखाएं अनेक बैंक, अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित व्यवहार ओं के लिए विदेशों मैं अपने प्रतिनिधि बैंक पर निर्भर है कुछ बैंकों ने अपनी शाखाएं स्थापित कर ली है ऐसे बैंकों को जिनकी पूंजी स्टॉक 10
लाख डॉलर से अधिक है, विदेशी बैंकों में शाखाएं स्थापित करने की अनुमति दे रखी है पर बाद में1916 मैं इसमें एक संशोधन किया गया और यह सुविधा दी गई कि कोई भी नेशनल बैंक विदेशों में अपनी सहायता बैंकिंग कंपनी अथवा कंपनियां स्थापित कर सकता है किंतु उसमें अपनी पूंजी स्टॉक का 10 परसेंट से अधिक विनियोग नहीं कर सकता सदस्य स्टेट बैंकों के लिए भी यही प्रावधान है
अमेरिकी बैंक :- अमेरिका के व्यापारिक बैंकों में विदेशों में अपनी शाखा खोलने की परवर्ती बढ़ रही है अमेरिकन बैंकों ने विश्व के प्रमुख व्यापारिक केंद्र में अपनी शाखाएं स्थापित कर रखी हैं इन बैंकों ने विशेष तौर पर यूरोप व लैटिन अमेरिका अपनी शाखाएं स्थापित किए हैं सन1960 से1970 के दशक के मध्य अमेरिका के बैंकों द्वारा विदेशों में शाखाएं स्थापित करने के कार्य में पर्याप्त विकास हुआ इस विकास के अनेक कारण है जैसे 1, संयुक्त राज्य अमेरिका डॉलर का रिजर्व करेंसी का रूप में विकास 2, अमेरिकन व्यापारिक निगमों का अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में विकास 3, यूरो डॉलर का बढ़ता हुआ उपयोग .
विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक बैंकों में प्रथम स्थान बैंक ऑफ अमेरिका का है
जापान का विशिष्ट विदेशी विनिमय बैंक :- जापान में केवल एक ही विदेशी विनिमय बैंक है जिसकी स्थापना विदेशी विनिमय बैंक कानून,1954
के अंतर्गत की गई थी इस बैंक का नाम है “बैंक ऑफ टोक्यो “ बैंक ऑफ टोक्यो का प्रधान कार्यालय जापान की राजधानी टोक्यो(tokyo)
में है
सहयोगी बैंक :- इंटरनेशनल बैंक ऑफ ईरान एंड जापान इस बैंक में विदेशी मुद्रा के प्राय सरकारी निक्षेप रखे जाते हैं इसे विदेशों में भी कार्यालय स्थापित करने का अधिकार है इस जापान में ऐसे स्थानों पर कार्यालय स्थापित करने का अधिकार है जो विदेशी व्यापार और विनिमय कार्य करने के लिए प्रसिद्ध है
जापान ने विदेशी बैंक :-
जापान में 1970 में 18 विदेशी बैंक कार्य कर रहे थे इन बैंकों के प्रधान कार्यालय तो विदेशों में ही होते हैं किंतु उनके कार्यालय व शाखाएं जापान में है इन विदेशी बैंकों को जापान में बैंक कानून( the
bank low) के अंतर्गत लाइसेंस लेना पड़ता है यह बैंक जापान के अन्य बैंकों की तरह येन में निक्षेप प्राप्त करते हैं और येन मैं
कर्ज़ भी देते हैं
6. यूरो मुद्रा तथा यूरो मुद्रा का व्यापार
यूरो यूरोपीय यूनियन के 27
सदस्य राष्ट्रीय में से 16 सदस्य राष्ट्रीय की मुद्रा है इन देशों
को सम्मिलित रूप से यूरो क्षेत्र कहा जाता है और पांच अन्य यूरोपीय देशों में वह बिना औपचारिक समझौते के साथ इस्तेमाल की जाती है फल स्वरूप रोज लगभग 32 करोड 70 लाख यूरोपियन द्वारा उसे प्रयुक्त किया जाता है 175 से अधिक देश दुनिया भर में इस मुद्रा से जुड़ी मुद्रा का प्रयोग करते हैं
अमेरिकी डॉलर के बाद यूरोप की मुद्रा है तथा दूसरी सर्वाधिक व्यापारिक मुद्रा भी है 16 दिसंबर 1995
को यह नाम “ यूरो” अपनाया गया यूरो व्यवस्था मैं यूरो क्षेत्र के सभी देशों के केंद्रीय बैंक सम्मिलित होते हैं यूरो मुद्रा व्यापार का प्रसार विश्व के वस्तुओं और सेवाओं के व्यापारिक हो गया है अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती मात्रा के फल स्वरुप 1950
के दशक के अंत में यूरो डॉलर का जन्म हुआ था यूरोपिय उधम डॉलर को खरीदने तथा उसे बचाए रखने की इच्छा रखते हैं कुछ मामलों में अमेरिका में स्थित बैंक इन की आवश्यकता को पूरा करते हैं यूरो क्षेत्र विश्व की दूसरी विशालतम अर्थव्यवस्था है
यूरो सिक्के तथा नोट
---- यूरो 100 सेंट्स में विभाजित है( जिन्हें
यूरो सेंट्स भी कहा जाता है )सभी प्रचलित सिक्कों पर एक और समान रूप से मुद्रा का मूल्य कथा पृष्ठभूमि में नक्शा अंकित होते हैं सिक्के के दूसरी ओर जारी करने वाले राज्य
का अपना चुना हुआ राष्ट्रीय चिन्ह होता है अन्य सभी राष्ट्रीय राज्यो द्वारा होने मान्यता प्राप्त होती है
यूरो नोट
------ यूरो नोट पर दोनों और समान डिजाइन होती है
प्रत्येक नोट का अपना अलग रंग होता है मुख्य पृष्ठ पर खिड़कियां प्रवेश द्वार कथा पिछले हिस्से पर पुल प्रदर्शित है
उपयोग ----- इसका अंतरराष्ट्रीय उपयोग लगातार बढ़ रहा है कुछ अन्य छोटे यूरोपियन
राज्यों का भी यह एकमात्र मुद्रा है इसका प्रयोग 32 करोड़ 70 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से करते हैं
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