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सामान्यीकरण || what is Generalization || M.a history ignou || Mhi - 03

 

                 MHI - 03               Unit – 1st       सामान्यीकरण 

 

प्रस्तावना

·         इतिहास के अध्ययन को रुचिकर बनाने के लिए सामान्यीकरण की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है सामान्यीकरण  के बिना इतिहास लेखन महज कुछ तथ्यों व घटनाओं का बिखरा हुआ इतिहास प्रस्तुत करता है लेकिन, सामान्यीकरण   के जरिए लेखक ना केवल इतिहास के छात्रों के सामने आसान रूप से इतिहास को  परोस सकता है बल्कि इस विषय में उनकी गहरी रुचि भी पैदा कर सकता है,

 

·         किसी भी विषय के अध्ययन के विस्तार के लिए छात्रों को उसे समझना तो जरूरी है ही, लेकिन साथ ही उसमें उनकी दिलचस्पी होना भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है

 

·         उदाहरण के लिए मिस्र के पिरामिड का प्रयोग शवों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था यह सिर्फ एक तथ्य है. लेकिन सामान्यीकरण के माध्यम से इतिहासकार ने इस तथ्य को रुचिकर ढंग से प्रस्तुत किया है  उसने बताया कि मृत्यु के बाद जीवन को लेकर मिस्र के लोगों की  दृढ़ मान्यता हुआ करती थी  जबकि कुछ लोग यह मानते हैं कि मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है, और आत्मा जीवित रहती है, लेकिन मिस्र के निवासियों का मानना है कि शरीर और आत्मा दोनों ही जीवित रहते हैं इसलिए वह शरीर पर  लेप लगाकर उसे पहले लकड़ी के बक्से में रख दिया करते थे इसके बाद यह बक्सा पत्थर के ताबूत में डालकर पिरामिड में रख देते थे साथ ही मृतक व्यक्ति के आसपास उसकी पसंद के सामान रख दिए जाते थे,

 

·         इसी प्रकार मिट्टी के बड़े बर्तन की मौजूदगी को भी सामान्यीकरण ने रोचक तथ्य की तरह प्रस्तुत किया है, उस समय के लोग अपनी जरूरत से ज्यादा अनाज को संरक्षित रखने के लिए पतन का उपयोग करते थे अनाज का कुछ हिस्सा अगले वर्ष की खेती के लिए बीज के रूप में काम में लाया जाता था.

 

·         इतिहासकार तथ्य को संग्रह करके एक स्थान पर रख दें और उनके तमाम पहलुओं के मध्य नजर विस्तार व्याख्या ना करें तो घटना को समझ पाना एक कठिन कार्य हो जाएगा.  ऐसे में उन तथ्य का ना तो कोई अर्थ ही निकलेगा और ना ही उनको पढ़ने में किसी प्रकार का कोई प्रभाव होगा, इतिहासकार का कार्य अतीत की घटनाओं को एकत्रित  करने के साथ-साथ उनकी सत्यता वह वैधता को परखने का कार्य भी होता है वह अपने तर्क के आधार पर उन तथ्यों का विस्तार में सामान्यकरण करना भी उनके लिए जरूरी हो जाता है.

·         सामान्यकरण के द्वारा ही घटनाओं व तथ्यों को क्रमबद्ध तरीके से पिरोकर इतिहास के अध्ययन में रुचि बढ़ाते हैं जब हम किसी काल को अनेक काल खंडों में विभाजित करके उन में समानता और  विषमताओ को  देखते हुए निष्कर्ष पर पहुंचते हैं तो उसे हम सामान्यीकरण  कहते हैं उदाहरण के लिए किसी शासक के संबंध में उसकी जाति,  काल, धर्म, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का वर्णन करना  ही सामान्यीकरण  कहलाता है,

 

ü        मार्ग ब्लॉक का कहना है कि यह प्रक्रिया के बीच उदाहरण प्रस्तुत करने वाला संबंध है यह मोटिवेशन  या प्रभाव बनाने के लिए किए गए प्रयासों का परिणाम है मोटे तौर पर सामान्यकरण वह साधन है जिसके जरिए इतिहासकार अपनी सामग्री को समझते हैं और तथ्य की अपनी समझ को दूसरों तक पहुंचाते हैं, यह सभी कार्य सामान्यीकरण  की मदद से होता है

 

 

v     सामान्यकरण  को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं 1. निम्नस्तरीय, 2, मध्यस्तरीय और व्यापक स्तरीय सामान्यकरण



  1.  जब हम किसी तथ्य या घटना को किसी विशेष कालखंड में डाल देते हैं तो उसे निम्न स्तरीय सामान्य करण कहते हैं, उदाहरण के लिए किसी तथ्य को आर्थिक कहना, किसी व्यक्ति को  किसी जाति, धर्म, क्षेत्र से जोड़कर देखना आदि

 

  1. मध्यस्तरीय -  जब कोई इतिहासकार किसी विशेष व्यक्तित्व व्यक्ति का अध्ययन करने के साथ उस काल के आगे पीछे की कड़ियों को जोड़ने का प्रयास कर रहा होता है, तो उसे मध्य स्तरीय सामान्य करण कहते हैं उदाहरण के लिए -  1927-37  तक पंजाब में किसान आंदोलन  वाह और इतिहास का इसके आगे पीछे के संबंधों और कड़ियों को जोड़ कर देख सकता है,

 

  1. व्यापक - इतिहासकार किसी पूरे युग में समाज के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं परिस्थिति  सूत्रों का अध्ययन करने का प्रयत्न करते हैं इतिहासकार जब किसी विषय का अध्ययन कर रहे हो तब भी वह इन सूत्रों का, राष्ट्रव्यापी, समाजsव्यापी और यहां तक कि विश्वव्यापी दृश्य को समझने तथा सम्मुख लाने का प्रयत्न करते हैं कई बार जब वह सीमित विषय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यापक सामान्य करण उनके दिमाग में होता है,

·         समाज के संपूर्ण पहलुओं का या किसी सीमित विषय के पश्चात भी उसका राष्ट्रव्यापी या विश्वव्यापी स्तर पर अध्ययन करते हैं तो उसे व्यापक सामान्य करण कहते हैं

·          कार्ल मार्क्स ने साम्यवादी विचारधारा का वर्णन अपनी पुस्तक “  दास कैपिटल ” में  किया है , जिसमें वह सर्वहारा वर्ग के हित की बात करता है यह व्यापक सामान्य करण का उदाहरण है

·         व्यापक सामान्य करण  करने वाले कुछ इतिहासकार और समाजशास्त्री भी हैं, जिनमें कार्ल मार्क्स, मैक्स वेबर, मार्ग ब्लॉक आदि  हैं साथ ही भारत में डीडी कोसांबी. आर एस शर्मा. आदि प्रमुख है

 

·         सामान्यकरण का एक और पहलू यह भी है कि एक घटना का तुलनात्मक अध्ययन दूसरी घटना के साथ किया जाए तो उसे समझने में सुविधा हो जाती हैं लेकिन कई इतिहासकार सामान्य करण को इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि  मानो वह सिद्ध हो चुका हो  सामान्य करण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अतार्किक व अस्पष्ट ना हो,

 

·         सामान्यकरण का एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि इतिहासकार कभी-कभी दो घटनाओं के अंतर की अनदेखी करके भी सामान्य ज्ञान के जरिए उन्हें एक जैसा ही बताने की चेष्टा करता है

 

 सामान्यीकरण की अनिवार्यता

§  सामान्यीकरण से बचा नहीं जा सकता, यह भी कहा जा सकता है कि सामान्य करण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अस्त-व्यस्त तथ्य को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने में मदद मिलती है इससे इतिहासकार को नए तथ्य को खोजने, निष्कर्ष निकालने और परिणाम व  प्रभावों के बारे में गहराई से सोचने में मदद मिलती है, सामान्यीकरण इतिहासकार को नए तथ्यों व स्रोतों को खोजने के लिए प्रेरित करते हैं, सामान्यीकरण के कारण ही इतिहास के विषय पर नई खोज संभव हो सकती हैं

 

§  इतिहासकार पुराने लेखकों का समर्थन व खंडन करते हुए अपने विचार प्रस्तुत करते हैं, इतिहासकार कभी-कभी अपने विवेक के आधार पर भी सामान्य करण करते हैं,

 

§  कला, शिक्षा, परिवार, जाति, धर्म, राजनीति आदि अनेक ऐसे विषय हैं जो सामान्य करण के स्रोत हैं तथ्य सामने होने पर ही स्वयं कोई सवाल कब कहां क्यों और कैसे को लेकर पैदा होते हैं ऐसे में तार्किक ढंग से अनेक चीजों का समाधान करने का प्रयास किया जाता है

 

 सामान्यकरण की आपत्तियां 

·            कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सामान्य करण को तथ्यों से परे रखना चाहिए परंतु यह संभव    नहीं है, क्योंकि सामान्य करण ही तथ्य को तथ्य बनाते हैं सामान्य करण को लेकर आलोचकों का    यह भी कहना है कि इससे कहीं कहीं तथ्यों की यथार्थता खत्म हो जाती हैं, ऐसे में आलोचकों     कहना गलत नहीं है क्योंकि कई इतिहासकार सामान्य करण के दावे की तरह रखते हैं और मान   लेते हैं कि यह सिद्ध हो चुका है जबकि सामान्य करण में स्पष्ट, सत्यता, प्रयोगात्मक, और वैधता   का होना अत्यंत जरूरी है,

 

 सामान्यकरण की भूमिका 

    सामान्यकरण के कुछ और फायदे भी हैं जैसे 

  • वह इतिहासकार की दृष्टि को व्यापक बनाते हैं, उनकी समझने की क्षमता बढ़ाते हैं
  • वह उन्हें प्रयुक्त तिथियों का विश्लेषण, व्याख्या और स्पष्टीकरण देने में मदद करते हैं
  • सामान्यकरण इतिहासकार को नए तथ्य और स्रोतों को खोजने के लिए प्रेरित करते हैं अक्सर ने
  •  तथ्यों और स्रोतों को नए सामान्य करण की मदद से ही समझा जा सकता है लेकिन अक्सर
  •  यह प्रक्रिया उल्टी होती है सामान्य तौर पर नए सामान्य करण की वजह से ही नई सामग्री की तलाश की राह बनती है

  • सामान्य करण इतिहासकार को पुराने और जाने पहचाने तथ्यों के बीच में संबं
  • ध कायम करने में मदद करते हैं
  • सामान्य करण किसी इतिहासकार को यह क्षमता प्रदान करता है कि वह लगातार यह जांच कर सके कि वह क्या कर रहा है.
  • दरअसल, जब दूसरे लोग किसी विषय या मुद्दे पर सामान्य करण कर चुके हो तब इतिहास का
  •  दोबारा उन पर  शोध करते हुए पहले के सामान्य करण पर  मौजूदा तथ्यों के साथ कुछ आगे काम कर सकता है,

 

 निष्कर्ष

·         सामान्य करण हमारा मार्गदर्शन करते हैं, वह हमें तथ्यों पर, संदेह प्रकट करने की क्षमता प्रदान करते हैं वह पुराने तथ्यों की नई संभावित समझ प्रस्तुत करते हैं

 

·         सामान्यकरण इतिहास के विद्यार्थी को उसका विषय परिभाषित करने में मदद करते हैं भले ही वह कोई लेख, कार्य, शोध  पर लिख रहा हो या कोई पुस्तक, वह उसे किसी किताब ले गया प्राथमिक स्रोत के नोट्स बनाने की भी क्षमता प्रदान करते हैं.


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